प्रतीकात्मक तस्वीर(सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha Illegal Sand Mining: वर्धा जिले के किसी भी रेत घाट की अब तक नीलामी नहीं हुई है, जिसके चलते कुछ लोगों द्वारा नदियों और नालों के पात्र को खोदकर अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है और ऊंचे दामों पर बेची जा रही है। यहीं रेत तस्करी अब कुछ लोगों के लिए धन कमाने का साधन बन गई है।
वहीं दूसरी ओर यही अवैध कारोबार अब जानलेवा भी साबित हो रहा है। देवली तहसील के अंदोरी गांव में रवींद्र पारिसे हत्या प्रकरण से स्पष्ट होता है।
जिले के नागरिकों को उचित दरों पर रेत उपलब्ध हो सके, इसके लिए कुल 42 रेत घाटों का प्रस्ताव जिला प्रशासन की ओर से पर्यावरण विभाग को भेजा गया है। लेकिन अब तक इस पर विभाग की ओर से कोई सकारात्मक या नकारात्मक, ऐसा ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
वर्धा, वणा, वेणा, यशोदा, बाकली सहित 12 प्रमुख नदियों और नालों से कुछ रेत माफिया मनमाने ढंग से रेत निकाल रहे हैं और उसे ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। इस अवैध कारोबार से सरकार को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है। पुलिस और राजस्व विभाग लगातार कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन रेत माफिया उनसे भयभीत नहीं हैं।
इसका ताजा उदाहरण 25 तारीख को गुंजखेडा में देखने को मिला। रेत चोरी पर रोक लगाने और घाटों के समय पर नीलामी के उद्देश्य से जिला खनिकर्म विभाग ने 9 अक्टूबर को 42 रेत घाटों का प्रस्ताव पर्यावरण मंजूरी के लिए भेजा था।
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इसके बाद राज्य पर्यावरण विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति और महाराष्ट्र राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण की दो बैठकें भी हुईं, लेकिन दोनों बैठकों में केवल चर्चा हुई, कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ।
| तहसील | रेत घाटों की संख्या |
|---|---|
| आष्टी | 07 |
| आर्वी | 03 |
| देवळी | 11 |
| समुद्रपुर | 08 |
| हिंगनघाट | 13 |
| कुल | 42 |
नदियों और नालों को खोदकर अवैध रेत निकासी और परिवहन का सबसे ज्यादा प्रकोप हिंगनघाट और देवली तहसील में देखा जा रहा है। चोरी की रेत इन क्षेत्रों से जिले के मुख्यालय वर्धा शहर तक लाई जा रही है और ऊंचे दामों पर नागरिकों को बेची जा रही है।
अब 42 रेत घाटों का प्रस्ताव पर्यावरण विभाग को भेजे जाने के बाद अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में पहले एसईएसी और उसके बाद एसईआईएए की बैठक हुई। परंतु दोनों बैठकों में सिर्फ चर्चा तक ही बात सीमित रही, कोई अंतिम निर्णय आज तक नहीं लिया गया है।