RTE प्रतिपूर्ति से शाला अभी तक वंचित (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: शिक्षण हक कानून तहत 25 प्रतिशत आरक्षित जगह की प्रवेश प्रक्रिया (आरटीई) निजी, विना अनुदानित शाला से कम करने संदर्भ में राज्य सरकार ने 9 फरवरी 2024 को अधिसूचना निकाली थी। इस अधिसूचना को पालकवर्ग ने विरोध किया। तत्पश्चात शाला ने सरकार के निर्णय के खिलाफ न्यायालय में चुनौती दी। पश्चात सरकारी अधिसूचना मुंबई उच्च न्यायालय ने रद्द की। इस तरह बहुप्रतिक्षित प्रवेश का इच्छुक लाखों बालक का राज्य के निजी शाला में 25 प्रतिशत आरक्षित जगह पर नि:शुल्क मार्ग निकला।
राज्य सरकार ने 2017 से निजी शाला की आरटीई प्रवेश शुल्क की प्रतिपूर्ति नही की। पिछले 6 वर्ष में सरकार ने शाला की राशि नही देने से कुल 2 हजार 400 करोड रुपये की प्रतिपूर्ति अभी तक शेष है। इसके खिलाफ कुछ शालाओं ने न्यायालय में अपनी बाजू रखी थी। इस प्रतिपूर्ति की राशि सरकार के तीन सप्ताह में देनी चाहिए। ऐसा आदेश उच्च न्यायालय ने दिया था। इस तरह न्यायालय में अपनी बाजू रखने वाले शाला को प्रतिपूर्ति मिली।
लेकिन अभी तक जिन शालाओं ने न्यायालय में अध्यादेश के खिलाफ चुनौती नहीं दी। वह शाला अभी तक प्रतिपूर्ति की राशि से वंचित है। इस तरह कानून के सामने सभी को समान न्याय देकर आरटीई प्रतिपूर्ति तुरंत दी जाए। कुछ दिन पश्चात आगे शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है। उसमें पुन:आरटीई तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। जिन शाला को अनेक वर्ष की आरटीई राशि नही मिली। उन्हें बड़ी परेशानी होगी। कुछ दिन पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने सीबीएसई शाला के लिए नया निर्णय लागू किया था।
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अब सीबीएसई शाला को प्रत्येक तीन वर्ष के पश्चात मंजूरी लेनी पडेगी। इसके लिए डेढ लाख का शुल्क वसूला जाएंगा। एक बार मंजूरी मिलने के पश्चात पुन: मंजूरी लेने की जरूरत नही है। अब शाला को ज्यादा आर्थिक भुर्दंड सहन करना पडेगा। सरकार ने इस निर्णय को स्थगिती देनी चाहिए तथा आरटीई प्रतिपूर्ति की राशि तुरंत सभी शाला को दी जाएं। ऐसी मांग शंकरप्रसाद अग्निहोत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रिय शिक्षणमंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व शिक्षणमंत्री से पत्र द्वारा की है।