ज्ञानदा महाविद्यालय में व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
वर्धा: विद्यार्थी इस देश का भावी नागरिक है़, वह चिकित्सक होता है़। लगातार वे सवाल पूछते हैं। मात्र स्कूलों में उन्हें हाथ की घड़ी, मुंह पर उंगली रखकर शांत बैठने को कहना, यह नई संस्कृति शिक्षा क्षेत्र में बढ़ रही है़। इसका परिणाम विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर हो रहा है़। विद्यार्थी पढ़ाई के अलावा उसके पास होने वाले व्यक्तित्व को बढ़ावा देते हुए दिखाई नहीं देता। क्योंकि शिक्षक ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण स्वीकारने वाला नहीं होता है।
इसलिए प्रश्न पूछने पर शिक्षक जवाब देना टाल देते हैं या फिर संदेह पैदा करने वाले जवाब आते हैं। परिणामस्वरूप विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकसित नहीं होता। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का स्वीकार करना जरूरी है़ ताकि भविष्य में वैज्ञानिक, राजनीतिक, उद्यमी आदि विविध क्षेत्रों में विद्यार्थी योगदान देकर देश का वैभव बढ़ा सकें। उक्त विचार महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राज्य प्रधान सचिव गजेंद्र सुरकार ने व्यक्त किए हैं।
हिंगनघाट समीप सातेफल स्थित ज्ञानदा माध्यमिक विद्यालय व कनिष्ठ महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया था। इस प्रसंग पर बतौर मार्गदर्शक वे बोल रहे थे। इस प्रसंग पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और हंसते-खेलते विज्ञान इस विषय पर आगे बोलते हुए सुरकार ने कहा कि, अगर विज्ञान की चिकित्सा करें तो यहां से 5 हजार वर्ष पहले भारत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित था।
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इसलिए भारत में शून्य की खोज हुई। दुनिया में गणित की गुत्थी सुलझी। पृथ्वी घूमती है, यह सॉक्रेटिस, गैलिलियो के पहले भारतीय लोगों को पता चला था। वहीं प्राणीशास्त्र, धातु की खोज करने वाले ऐसे अनेक अनुसंधान करने वाले भारत में जन्मे हैं। इसमें वराह मिहिर, अमरजित सिंह, भास्कराचार्य का नाम है। किंतु देश में आज भी कर्मकांड, पूजा विधि, नरबली, अंधश्रद्धा जैसी बातों पर लोग विश्वास रखते हैं।
इसके बलि चढ़ते हैं कुछ पुजारी, पादरी, मुल्ला मौलवी समाज में अंधश्रद्धा फैलाने का काम करते हैं। विद्यार्थियों ने ऐसी बातों पर विश्वास न रखते हुए खुद की इच्छाशक्ति व मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने से आप भविष्य में प्रगति कर सकते हैं, ऐसा आह्वान इस प्रसंग पर गजेंद्र सुरकार ने विद्यार्थियों को किया।