वर्धा में लंपी संक्रमण (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Lumpy Infection: वर्ष 2022 में भारी तबाही मचाने वाले लंपी स्किन डिजीज नामक यह विषाणुजन्य रोग एक बार फिर वर्धा जिले में अपने पैर पसार रहा है। अब तक 223 गोवंशीय जानवर सही समय पर उपचार मिलने से ठीक हो चुके हैं। पशुपालन विभाग की सूक्ष्म निगरानी के अनुसार जिले में लंपी का संक्रमण दर 1.07 प्रतिशत पाया गया है।
हालांकि संक्रमण की दर कम है, लेकिन रोग का प्रकोप न फैले और मृत्यु दर को रोका जा सके, इसके लिए पशुपालकों को चाहिए कि वे संक्रमित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग रखें और पशु चिकित्सकों की सलाह से ही उपचार करें। गौरतलब है कि लंपी ने वर्ष 2022 में वर्धा जिले सहित पूरे महाराष्ट्र में कहर बरपाया था, जिसमें बड़ी संख्या में गोवंशीय जानवरों की मौत हुई थी। इस वर्ष फिर एक बार यह विषाणुजन्य रोग जिले में फैल रहा है।
अब तक जिले में 296 जानवर लंपी से संक्रमित हुए हैं। इनमें से 223 जानवरों को समय पर उपचार मिलने से पूरी तरह ठीक किया गया है। हालांकि इस बार लंपी के कारण 15 गोवंशीय जानवरों की मौत होने की भी पुष्टि हुई है। फिलहाल 58 संक्रमित जानवरों का इलाज जारी है। 19 वीं पशुगणना के अनुसार, जिले में कुल 2,75,880 गोवंश हैं, जिनमें से केवल 296 को ही इस बार लंपी का संक्रमण हुआ है। कुल मिलाकर अब तक का संक्रमण दर 1.07 प्रतिशत है।
विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी की औसत मृत्यु दर 5 प्रतिशत होती है, इसलिए समय पर रोकथाम के लिए पशुपालकों और किसानों को पशुपालन विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। वर्ष 2022 में लंपी रोग के प्रकोप के बाद, जिले में गोवंशीय जानवरों को रोकथाम हेतु वैक्सीन दी गई थी। लेकिन यह वैक्सीन केवल 70 प्रतिशत तक ही प्रभावी है, यह एक सच्चाई है।
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लसीकरण अभियान के दौरान कुछ पशुपालकों ने यह गलतफहमी पाल रखी थी कि गर्भवती गायों को वैक्सीन देने से गर्भपात हो सकता है, इसलिए उन्होंने गर्भवती जानवरों को वैक्सीन नहीं दी। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके बछड़े रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं कर पाए और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बछड़े लंपी की चपेट में आ रहे है।
इस वर्ष जिले में अब तक लंपी से 296 जानवर संक्रमित हुए हैं और 15 जानवरों की मौत हुई है। मृत जानवरों में सबसे अधिक संख्या गाय वर्ग के बछड़ों की है, यह जानकारी पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय विभाग के अधिकारियों ने दी है। संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए पशुपालक व किसान अपने जानवरों में लंपी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उस जानवर को अन्य जानवरों से अलग रखें और नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सालय में ले जाकर केवल पशु चिकित्सक की सलाह से उपचार कराएं। ऐसा आह्वान पशुपालन एवं दुग्ध विभाग, वर्धा के उपायुक्त डॉ. जगदिश बुकतारे ने किया है।