प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Family Planning Trends: परिवार नियोजन को लेकर अब तक समाज में यह धारणा रही है कि इसकी जिम्मेदारी केवल महिलाओं की है, लेकिन महाराष्ट्र के वर्धा जिले में यह सोच बदलती नजर आ रही है। यहां पुरुष भी अब परिवार नियोजन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। एक सकारात्मक बदलाव के रूप में, पिछले 6 महीनों (अप्रैल 2025 से अगस्त 2025) में 10 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। यह आंकड़ा भले ही छोटा लगे, लेकिन यह एक बड़ी सामाजिक और जागरूकता की पहल को दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वर्धा जिले को कुल 5,640 नसबंदी ऑपरेशनों का लक्ष्य दिया गया है। जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में कुल 2,577 नसबंदी ऑपरेशन किए गए हैं। इनमें 10 पुरुषों ने और 2,567 महिलाओं ने यह प्रक्रिया करवाई है। इस प्रकार, जिले ने अब तक कुल लक्ष्य का 46% हिस्सा पूरा कर लिया है, जो कि एक सराहनीय उपलब्धि है।
वर्धा जिले का प्रदर्शन पिछले वित्तीय वर्ष में भी शानदार रहा था। वर्ष 2024-25 में जिले को 5,640 नसबंदी ऑपरेशनों का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच जिले में कुल 7,940 नसबंदी ऑपरेशन किए गए, जो लक्ष्य का 141% है।
इस उपलब्धि में 72 पुरुषों का योगदान भी शामिल था, जिन्होंने परिवार नियोजन के लिए स्वेच्छा से आगे आकर नसबंदी करवाई थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि धीरे-धीरे ही सही, पुरुषों में भी परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
आज के महंगाई और प्रतिस्पर्धा के दौर में परिवार नियोजन की महत्ता को लोग समझने लगे हैं। “हम दो, हमारा एक” या “हम दो, हमारे दो” की सोच अब आम हो गई है। लोग छोटे परिवार के फायदों को समझ रहे हैं, जिससे वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य दे सकें।
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नसबंदी (पुरुष नसबंदी) एक सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें किसी बड़े ऑपरेशन या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रक्रिया से पुरुषों के यौन जीवन या शारीरिक क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसके बावजूद, अब तक कई मिथकों के कारण पुरुष इस प्रक्रिया से दूर रहते थे। लेकिन, अब जागरूकता अभियानों और सही जानकारी के प्रसार से लोग इन मिथकों को तोड़ रहे हैं और जिम्मेदारी से परिवार नियोजन का निर्णय ले रहे हैं।
वर्धा जिले की यह पहल न केवल स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अगर सही तरीके से जागरूकता फैलाई जाए, तो सामाजिक धारणाओं को बदला जा सकता है और पुरुषों को भी परिवार नियोजन के लिए प्रेरित किया जा सकता है।