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उद्धव-राज एकसाथ: मराठी अस्मिता के बहाने राजनीतिक अस्तित्व बचाने की तैयारी

20 साल पहले अगल हुए दो भाई आज एक मंच पर एक साथ दिखे। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मराठी अस्मिता के नाम पर मंच साझा किया। इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

  • By आकाश मसने
Updated On: Jul 06, 2025 | 04:48 PM

उद्धव ठाकरे व राज ठाकरे (सोर्स: एक्स@ShivSenaUBT_)

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मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति पिछले पांच-छह वर्षों से इतनी अप्रत्याशित हो गई है कि कब क्या होगा कोई नहीं बता सकता। महाराष्ट्र की राजनीति ने पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं देखी, जिसे शायद ही किसी ने सोचा हो। लेकिन वो कहावत है न कि ‘राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता।’ ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में भी देखने काे मिला।

पिछले कुछ वर्षाें में महाराष्ट्र की राजनीति ने सत्ता के लिए दो राजनीति दुश्मनों को मिलते देखा। वहीं अंदरूनी लड़ाई के चलते पार्टियों को टूटते हुए भी देखा। 5 जुलाई हुई घटना के बारे में भी राज्य की राजनीति में किसी नहीं सोचा होगा। 20 साल पहले अगल हुए दो भाई आज एक मंच पर एक साथ दिखे।

मराठी अस्मिता के लिए आए साथ

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे मराठी अस्मिता के नाम पर मुंबई के वर्ली डोम में आयोजित ‘आवाज मराठीचा’ नामक एक सभा में 20 साल बाद एक मंच पर दिखे। यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में सामान्य नहीं है। इस घटना का असर महाराष्ट्र की भविष्य की राजनीति पर पड़ेगा।

‘आवाज मराठीचा’ सभा के मंच पर राज और उद्धव ठाकरे का परिवार (सोर्स: एक्स@ShivSenaUBT_)

महाराष्ट्र की महायुति सरकार द्वारा राज्य में हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए दोनों ही पार्टियों ने मोर्चा खोला हुआ था। पहले ऐलान किया गया था कि 5 जुलाई को इसके विरोध में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे एकसाथ रैली करेगी। लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा।

सरकार के फैसला वापस लेने के बाद विरोध प्रदर्शन को विजय रैली में बदलकर दोनों भाई एक साथ आ गए। अब राजनीतिक गलियारों में एक सवाल पैदा हो गया है, कि ‘हिंदी थोपने’ वाला फैसला सरकार ने वापस ले लिया तो फिर राज और उद्धव को मिलाप क्यों हुआ?

साथ आना मजबूरी या मराठी अस्मिता के लिए जरूरी?

सवाल है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का साथ आना राजनीतिक मजबूरी है या मराठी अस्मिता के लिए जरूरी है? संयुक्त सभा में दोनों भाइयों का भाषण मराठी भाषा और मराठी मानुस के इर्द गिर्द घूमता रहा।

राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी लोगों की मजबूत एकता के कारण त्रिभाषा फार्मूले पर फैसला वापस लिया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की, अंग्रेजी अखबार में काम किया लेकिन मराठी को लेकर कभी समझौता नहीं किया।

इधर उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एकसाथ रहने के लिए साथ आए हैं। उद्धव ने कहा कि आप हमें हिंदुत्व के बारे में सिखाने वाले कौन होते हैं? जब मुंबई में दंगे हो रहे थे, तब हम मराठी लोगों ने महाराष्ट्र के हर हिंदू को बचाया था, चाहे वह कोई भी हो। अगर आप मराठी लोगों को ‘गुंडा’ कह रहे हैं जो न्याय की मांग कर रहे हैं और अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तो हां, हम ‘गुंडा’ हैं।

क्या है राजनीतिक मायने?

दोनों भाइयों के साथ आने के कई राजनीति मायने भी है। पिछले कुछ सालों में उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता घटी है। भाजपा से गठबंधन तोड़ने और सत्ता के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाने के बाद शिवसेना में टूट हो गई और दो भागों में बंट गई।

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना की मान्यता के लिए चुनाव चिह्न भी मिल गया। इसके बाद 2024 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की पार्टी को करारी शिकस्त मिली। इससे अभी उभर भी नहीं पाए हैं कि एक और चुनाव सिर पर है। यही हाल राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र निवनिर्माण सेना का है। दोनों ही पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं।

बीएमसी की सत्ता खोने का डर?

राज्य में जल्द ही स्थानीय निकाय होने वाले हैं। ऐसे में देश की सबसे अमीर महानगर पालिका यानी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की सत्ता पर काबिज होना सभी पार्टियों का सपना है। पिछले कुछ वर्षों में बीएमसी में उद्धव ठाकरे की पार्टी का दबदबा रहा है। लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्हें बीएमसी की सत्ता जाने का डर सता रहा है।

‘मारो पर वीडियो न बनाओ’, खुले मंच से राज ने समर्थकों को दी ‘गुंडागर्दी’ की सलाह

राजनीतिक पंडितों की माने तो दोनों ठाकरे भाइयों के एक साथ आने की वजह यह भी हो सकती है। आज की सभा में बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं और राज ठाकरे मिलकर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करेंगे।

Uddhav raj thackeray together preparations political advantage name of marathi identity

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Published On: Jul 05, 2025 | 05:33 PM

Topics:  

  • Maharashtra Navnirman Sena
  • Maharashtra Politics
  • Raj Thackeray
  • Shiv Sena UBT
  • Uddhav Thackeray

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