ठाणे मनपा चुनाव: बीजेपी का 70+ सीटों का लक्ष्य, शिवसेना का 'एकला चलो' राग
Thane News: ठाणे शहर में आगामी मनपा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी हैं, लेकिन दोनों प्रमुख दल बीजेपी और शिवसेना के बीच राजनीतिक गहमा-गहमी भी बढ़ने लगी है। जहां भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) 70 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर रही है, वहीं शिवसेना ने अपनी अलग रणनीति अपनाते हुए “एकला चलो” का राग अलाप दिया है।
ठाणे में बीजेपी ने महापौर पद को लेकर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। पार्टी का टार्गेट है 70 से ज्यादा सीटें जीतकर महापौर पद पर काबिज़ होना। ठाणे शहर जिला बीजेपी अध्यक्ष संदीप लेले के नेतृत्व में गुरुवार को हुई बैठक में पार्टी ने चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की और आगामी चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को मार्गदर्शन दिया। इस बैठक में विधायक संजय केलकर, निरंजन डावखरे, और प्रदेश महासचिव माधवी नाईक समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
शिवसेना का ठाणे मनपा चुनाव में अलग ही दृष्टिकोण है। शिवसेना ने खुद को बीजेपी से अलग कर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। शिवसेना का मानना है कि वे अपने बलबूते पर चुनाव जीत सकते हैं और उन्हें बीजेपी के साथ गठबंधन की आवश्यकता नहीं है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय केलकर ने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि ठाणे में महापौर पद की जीत के लिए हर संभव कोशिश करनी होगी।
वहीं, बीजेपी और शिवसेना के अलावा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और अन्य क्षेत्रीय दल भी मनपा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। ठाणे में शिवसेना का ऐतिहासिक दबदबा रहा है, लेकिन बीजेपी के वर्चस्व के कारण यहां के राजनीतिक समीकरण बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। ठाणे में कुल 131 नगरसेवक हैं, जिनमें से 66 नगरसेवक सत्ता स्थापित करने के लिए आवश्यक हैं। बीजेपी का लक्ष्य है कि 70 सीटों पर जीत हासिल करके सत्ता को अपने पक्ष में किया जाए।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत ने उसे मनपा चुनाव के लिए आत्मविश्वास दिया है। वन मंत्री गणेश नाईक ने “ठाणे में वनली कमल” का नारा देते हुए पार्टी की स्थिति मजबूत करने का आह्वान किया है। ठाणे में पार्टी के महापौर बनने की संभावना से बीजेपी के कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
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ठाणे शहर में शिवसेना ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्हें अकेले दम पर चुनाव लड़ने का दबाव डाला जा रहा है। लेकिन शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वे बिना किसी गठबंधन के खुद की ताकत पर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं।