मनसे की रैली में शामिल होने पहुंचे मंत्री प्रताप सरनाईक (सोर्स: सोशल मीडिया)
ठाणे: महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदी-मराठी का मुद्दा गर्म है। राज ठाकरे और और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने के बाद इस मुद्दे ने और जोर पकड़ लिया है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को मराठी विरोध के नाम पर नई जान मिल गई है। मनसे इस मुद्दे के जरिए अपने राजनीति भविष्य को संवारने में जुट गया है। कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसी बहाने मनसे कार्यकर्ता मंगलवार को अपनी ताकत दिखाई।
मीरा रोड पर मनसे के ऐलान पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा कई अन्य मराठी संगठनों ने भी इसका समर्थन किया। इसके चलते बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मीरा भयंदर में सुबह से ही पुलिस का कड़ा पहरा था और मनसे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा था। इससे भीड़ का गुस्सा और भड़क गया।
पुलिस और प्रशासन की तमाम पाबंदियों के बावजूद मराठी अस्मिता के नाम पर हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए। इन लोगों का कहना था कि जब प्रवासी व्यापारियों को प्रदर्शन की इजाज़त दी जा सकती है तो हमें मौक़ा क्यों नहीं दिया जा रहा।
ये पूरा मामला उस घटना के बाद शुरू हुआ जिसमें मनसे नेता अविनाश जाधव और उनके साथियों ने एक फ़ूड स्टॉल के मालिक की पिटाई कर दी। इन लोगों ने मराठी न बोलने पर उसकी पिटाई की। इस मामले में सोमवार शाम को अविनाश जाधव को हिरासत में लिया गया। व्यापारियों ने वहीं पर विरोध प्रदर्शन किया। मनसे के लोगों का कहना था कि पुलिस व्यापारियों के दबाव में है और मराठियों को उनकी ही ज़मीन पर परेशान किया जा रहा है।
मनसे ने इस घटना के विरोध में ठाणे जिले के मीरा भाईंदर इलाके में महाराष्ट्र एकता समिति के बैनर तले रैली निकालने का ऐलान किया था। इस रैली में हिस्सा लेने के लिए एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री प्रताप सरनाईक भी पहुंचे थे, लेकिन पुलिस की सख्ती से भड़की भीड़ ने उन्हें खदेड़ा दिया और उन पर बोतलें फेंकी। सरनाईक यहां के स्थानीय विधायक हैं। उन पर हुए हमले ने सियासत को और गरमा दिया है।
जब रैली रोकने का विरोध हुआ तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद सामने आए और सफाई दी। सीएम ने कहा कि रैली के आयोजन को लेकर कोई विरोध नहीं है। जिस रूट के लिए अनुमति मांगी गई थी, उसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था। पुलिस ने उनसे रूट बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास रूट पर रैली निकालने पर अड़े रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यातायात बाधित हो सकता है या भगदड़ जैसी स्थिति हो सकती है। ऐसी स्थिति में पुलिस समझाने और वैकल्पिक मार्ग प्रदान करने का प्रयास करती है। हम लोकतंत्र में हैं, हर किसी को रैली करने का अधिकार है।
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अगर वे उचित मार्ग की अनुमति मांगते हैं, तो हम आज और कल भी अनुमति देंगे। एक अन्य संगठन ने पुलिस द्वारा स्वीकृत मार्ग पर रैली निकाली, लेकिन ये लोग एक विशेष मार्ग पर अड़े रहे। देश पर हुए हमलों के दौरान मराठी लोगों ने देश की चिंता की और स्वार्थी नहीं रहे। मराठी लोगों की सोच सतही नहीं हो सकती।