मीरा भाईंदर मनपा (सौ. सोशल मीडिया )
Mira Bhayandar News In Hindi: मीरा-भाईंदर मनपा क्षेत्र में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) को सीमा से सटे माशा चा पाड़ा आदिवासी परिसर में करीब 100 वर्ष पुराने कुएं को परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक की संकल्पना से वैज्ञानिक पद्धति से साफ सफाई कर उसकी मरम्मत की गई थी।
कुछ माह पूर्व ही इसका विधिवत उद्घाटन भी मंत्री सरनाईक के हाथों संपन्न हुआ, लेकिन कुएं का उद्घाटन होने के बाद वहां ताला लगा दिया गया, जिससे माशा चा पाड़ा के करीब 25 परिवारों के 150 200 निवासियों को पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि 8 से 10 दिन में मीरा भाईंदर मनपा से पानी के टैंकर द्वारा उन्हें पानी आपूर्ति की जाती है। जिसे वे पीने के लिए संग्रहित कर के रखते हैं। अन्य कार्यों में कपड़ा धोने के लिए जंगल में उपलब्ध पानी के स्त्रोत का सहारा लेते हैं।
पीने का पानी समाप्त हो जाने के बाद वे इधर उधर से गैलन में पानी भरकर लाते हैं। जिससे उनके दिनचर्या का कार्य होता है। यहीं की एक अन्य महिला ने बताया कि जिस कुएं को वैज्ञानिक पद्धति से साफ सफाई की गई है, उसी कुएं से उनकी पिछली तीन पीढी से लोग पीने का पानी भरते थे। मनपा क्षेत्र में यह बस्ती होते हुए भी आज तक बिजली, रोड, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
कुआं संरक्षण परियोजना में सभी कुओं की खुदाई और सफाई करना, उनके जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना, यदि किसी कुएं से मलजल निकल रहा है तो उसे बंद करना, कुओं में जल प्रदूषण को पूरी तरह से रोकना, कुओं की दीवारों का पुनर्निर्माण कर प्लास्टर करना, सुरक्षा के लिए ग्रिल लगाना, कुओं के ऊपर जल शोधन संयंत्र लगाना और इस में रेत, कार्बन, अल्ट्रा फिल्ट्रेशन, यूबी प्रणाली का समावेश किया गया है। जिसका शुभारंभ मंत्री सरनाईक ने मार्च 2024 में किया था।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि इस परिसर के आस-पास कहीं अवैध बोरिंग से पानी निकाला जा रहा है। जिससे इस कुएं का जलस्तर निरंतर नीचे गिरता जा रहा है। इसकी जांच की जानी चाहिए। साथ दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, जिससे दूसरा कोई ऐसी जुर्रत न कर सके।
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बता दें कि मंत्री सरनाईक की संकल्पना से मनपा क्षेत्र के करीब 24 से अधिक पुराने कुओं को 50 करोड़ रुपए खर्च कर पुनर्जीवित व नैसर्गिक जल स्रोतों को संरक्षित करने का कार्य किया गया है, लेकिन मनपा के संबंधित विभाग की उदासीनता के कारण पुनर्जीवित किए गए कई कुओं का लाभ उन क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल रहा है। इस पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।