48 साल बाद मिला इंसाफ! 1977 के अपहरण केस में आरोपी को कोर्ट ने किया बरी
Thane News: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के विट्ठलवाड़ी पुलिस थाने में दर्ज अपहरण के एक मामले में लगभग पांच दशक बाद एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया। मुकदमा उसकी अनुपस्थिति में चलाया गया क्योंकि आरोपी फरार था और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और 366 (किसी महिला को जबरन शादी के लिए मजबूर करना या उसकी मर्यादा भंग करना आदि) के तहत वीरपाल जसवंत वाल्मीकि के खिलाफ नौ मार्च 1977 को मामला दर्ज किया गया था, जबकि आरोप पत्र लगभग 25 साल बाद 28 मार्च 2001 को दायर किया गया था।
यह मामला काफी समय तक लंबित रहा और औपचारिक आरोप सात अगस्त, 2025 को तय किए गए। वाल्मीकि के खिलाफ नौ मार्च 1977 को उल्हासनगर के कैंप नंबर 3, झोपड़पट्टी से 16 वर्षीय लड़की का जबरन शादी करने के इरादे से अपहरण करने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने 26 सितंबर को यह आदेश दिया था, जिसकी प्रति हाल ही में उपलब्ध करवायी गयी है।
आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.जी. इनामदार ने गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 82 के तहत उद्घोषणा के बावजूद अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने में अभियोजन पक्ष की असमर्थता और महत्वपूर्ण देरी का उल्लेख किया।
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अभियोजन पक्ष केवल एक गवाह, एक समन ड्यूटी पुलिस कांस्टेबल से पूछताछ कर सका, जिसने गवाही दी कि मुखबिर और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों का पता नहीं चल पा रहा है और वे दिए गए पते पर नहीं रहते हैं। अपने आदेश में, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्त के खिलाफ उचित संदेह से परे अपना मामला साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है, इसलिए वह बरी किए जाने का हकदार है। -एजेंसी इनपुट के साथ