अबू आजमी (pic credit; social media)
Controversy over Bhiwandi Development Plan: भिवंडी की विकास योजना (डीपी) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मनपा द्वारा प्रकाशित प्रारूप विकास योजना पर नागरिकों और नेताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं। आरोप है कि योजना में कई ऐसे बदलाव किए गए हैं जो सीधे-सीधे बिल्डरों के फायदे के लिए हैं, जबकि आम नागरिकों, व्यापारियों और धार्मिक स्थलों के अधिकारों की अनदेखी की गई है। विधायक अबू आसिम आजमी ने इस पर सख्त आपत्ति जताते हुए उप मुख्यमंत्री एवं नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर डीपी को रद्द करने की मांग की है।
मिली जानकारी के मुताबिक 2016 में मेट्रो प्रोजेक्ट-5 के तहत कल्याण रोड को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया था ताकि मकान मालिकों और दुकानदारों को नुकसान न हो। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 12 अगस्त 2025 को प्रकाशित नई डीपी में फिर से सड़क चौड़ीकरण का प्रावधान शामिल कर दिया गया है। इससे स्थानीय लोग नाराज हैं और इसे बिल्डर-फ्रेंडली प्लान करार दे रहे हैं।
नागरिकों का कहना है कि डीपी में कई आरक्षण रद्द कर उन्हें आवासीय और कमर्शियल जोन में बदल दिया गया है। जैसे कणेरी का पार्किंग जोन आवासीय जोन बना दिया गया, टेमघर का ट्रक टर्मिनल हटाकर आवासीय क्षेत्र कर दिया गया और गोदरेज प्रोजेक्ट के बीच बने एसटीपी को ग्रीन जोन में बदल दिया गया। आरोप यह भी है कि सरकारी दफ्तर, अस्पताल और बस डिपो जैसे सार्वजनिक आरक्षण कम कर दिए गए ताकि बिल्डरों की नई इमारतें बचाई जा सकें।
भिवंडी-कल्याण रोड निवासी 6,222 नागरिकों ने लिखित आपत्तियां दाखिल कीं और 1,498 लोग सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित भी हुए। बावजूद इसके इन आपत्तियों की अनदेखी कर दी गई। वहीं जिन भूखंडों से बिल्डरों को फायदा होता था, वहां बिना विरोध बदलाव कर दिया गया। इससे सरकार और मनपा की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पूर्व प्रशासक और कुछ जनप्रतिनिधियों ने बिल्डर लॉबी के साथ मिलकर गुप्त समझौते किए और करोड़ों की कमाई की। यही वजह है कि नागरिक इस योजना को “डेवलपमेंट प्लान नहीं, बिल्डर्स प्लान” कह रहे हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार इस विवादास्पद डीपी पर क्या रुख अपनाती है। क्या यह योजना शहर के विकास को नई दिशा देगी या फिर बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने का साधन बनकर रह जाएगी।