कल्याण कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Thane News In Hindi: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक सत्र अदालत ने 32 साल पुराने हत्याकांड में पांच आरोपियों को बरी कर दिया। मामला 16 दिसंबर 1992 को सम्राट अशोक नगर में लकी प्रेमचंद भाटिया की हत्या का था। कोर्ट ने गायब और खराब हो चुके दस्तावेजों और विश्वसनीय गवाह पेश करने में अभियोजन पक्ष की असमर्थता को हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया।
कल्याण के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी. एफ. सैयद ने 26 सितंबर को यह फैसला सुनाया, जिसकी एक प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई। इस मामले में सुरेश दीनानाथ उपाध्याय, गौतम महादेव गायकवाड़, मोहिद्दीन सिद्धिक खान, कन्हैया बसन्ना कोली और कुमार चेतुमल नागरानी आरोपी थे।
मुकदमे में अत्यधिक देरी और दस्तावेजों की खराब स्थिति के कारण कई बाधाएं सामने आईं। जमानत पर रिहा होने के बाद पांचों आरोपी लंबे समय तक अनुपस्थित रहे, जिससे सितंबर 2024 में गैर-जमानती वारंट जारी करना पड़ा।
ठाणे जिले की कल्याण अदालत ने आरोपपत्र (Charge Sheet) और गवाहों के बयान सहित प्रमुख दस्तावेजों को फटी हुई अवस्था में पाया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं थी, जिससे साक्ष्यों की विश्वसनीयता प्रभावित हुई।
अधिकारियों ने बताया कि अभियोजन पक्ष केवल दो गवाहों से पूछताछ कर सका। इनमें से एक गवाह की गवाही को अविश्वसनीय माना गया क्योंकि उसे पार्किंसन रोग था, जो उसके बयान की विश्वसनीयता को प्रभावित करता था। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष पांचों आरोपियों के अपराध को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा।
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अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी दोषमुक्त हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला। न्यायाधीश पी. एफ. सैयद ने फैसले में उल्लेख किया कि लंबे समय तक लंबित रहने वाले मामलों में दस्तावेजों और गवाहों की कमी के कारण निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
यह फैसला 32 साल पुराने मामले में न्यायिक प्रक्रिया की चुनौतियों और साक्ष्यों की अहमियत को उजागर करता है। इसे ठाणे जिले में पुराने और लंबित मामलों के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।