नासिक मध्य से नामांकन वापस लेने के बाद डॉ. हेमलता पाटील
नासिक : नासिक के मध्य से कांग्रेस की प्रवक्ता डॉ. हेमलता पाटील, मनसे के अंकुश पवार, नासिक पश्चिम से माकपा के डॉ. डी. एल. कराड और दिंडोरी से शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के पूर्व विधायक धनराज महाले समेत 141 लोगों के अपनी उम्मीदवारी वापस लेने से कई निर्वाचन क्षेत्रों में महायुति और महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। हालांकि, देवलाली, चांदवड और नांदगाव में बगावत रोकने में महायुति असफल रही, जबकि इगतपुरी में महाविकास आघाड़ी को असफलता मिली।
विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने की आखिरी तारीख 4 नवंबर थी, जिसके कारण महायुति और महाविकास आघाड़ी के अधिकृत उम्मीदवारों ने प्रचार की जगह बगावत करने वालों को शांत करने पर ध्यान केंद्रित किया था। कई बागी उम्मीदवारों को पीछे हटने के लिए खुद उम्मीदवार कार्यालय ले गए थे। निर्वाचन शाखा की जानकारी के अनुसार, जिले की 15 सीटों पर 337 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र वैध हुए थे, जिनमें से 141 ने नामांकल वापस ले लिया।
नासिक मध्य से चुनाव लड़ने के लिए अडिग रहीं डॉ. हेमलता पाटील ने आखिरी समय में अपना नामांकन वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार को वोटों के बंटवारे का नुकसान न हो इसलिए मैंने नाम वापस लिया है। डॉ. पाटील ने यह भी कहा कि मनपा चुनाव में कांग्रेस को न्याय मिलेगा, उन्हें इसका आश्वासन दिया गया है। नासिक मध्य से मनसे के अंकुश पवार ने भी नाम वापस ले लिया है।
यह भी पढ़ें-‘बकरी’ वाले आपत्तिजनक बयान पर शाइना एनसी ने सुनील राउत को लताड़ा, पार्टी को भी नहीं छोड़ा
भाजपा ने मत विभाजन रोकने के लिए मनसे के उम्मीदवार को नाम वापस लेने के लिए मनाने का प्रयास किया। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के आदेश पर अंकुश पवार पीछे हट गए। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके नेता के निर्देश पर उन्होंने यह फैसला लिया। इसके अलावा नासिक पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में माकपा के डॉ. डी. एल. कराड ने भाजपा को मत विभाजन का लाभ न मिलने के लिए नामांकन वापस ले लिया।
बात करें, नांदगाव निर्वाचन क्षेत्र की तो यहां से सबसे ज्यादा 18 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लिया। हालांकि, शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार सुहास कांदे के सामने राष्ट्रवादी अजित पवार गुट के पूर्व पदाधिकारी समीर भुजबल की चुनौती बरकरार है। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया था। भुजबल ने शिंदे गुट पर हमला बोलते हुए कहा कि दिंडोरी और देवलाली की तरह वे आधिकारिक उम्मीदवार नहीं हैं। शिवसेना शिंदे गुट ने महायुति में विभाजन को रोकने के लिए बहुत प्रयास किया। जिसके बाद, दिंडोरी से पूर्व विधायक धनराज महाले पीछे हट गए हैं, लेकिन देवलाली में राजश्री अहिरराव के हस्ताक्षरित पत्र समय पर प्रस्तुत नहीं होने के कारण उनकी आधिकारिक उम्मीदवारी बरकरार रही।
वहीं, चांदवड में भाजपा में अंतर्कलह जारी रही। यहां गिरीश महाजन की मध्यस्थता के बावजूद मामला नहीं सुलझा। महायुति के उम्मीदवार डॉ. राहुल आहेर के खिलाफ उनके भाई केदा आहेर ने अपनी उम्मीदवारी बरकरार रखी है। इसके अलावा, इगतपुरी में महाविकास आघाड़ी के लकी जाधव के सामने पूर्व विधायक निर्मला गावित की बगावत जारी है। जिले के 15 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 141 उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया है जिनमें नांदगाव से सर्वाधिक 18 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा अन्य चुनाव क्षेत्रों में भी उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए हैं।
यह भी पढ़ें-जरांगे पाटिल ने आखिरी वक्त में पलटा पासा! इन 46 सीटों पर बदल सकता है समीकरण
नामांकन वापस लेने वाले 141 उम्मीदवारों में मालेगांव मध्य से 3, मालेगांव बाह्य से 15, बागलाण से 9, कलवण से 8, चांदवड से 8, येवला से 17, सिन्नर से 10, निफाड से 8, दिंडोरी से 8, नासिक पूर्व से 2, नासिक मध्य से 11, नासिक पश्चिम से 7, देवलाली से 6 और इगतपुरी से 11 लोग शामिल हैं।