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खगोलशास्त्री जयंत नार्लीकर का 86 वर्ष की उम्र में निधन, ‘हॉयल-नार्लीकर गुरुत्व सिद्धान्त’ के थे जनक

वरिष्ठ खगोलशास्त्री जयंत नार्लीकर का पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उन्होंने सर फ्रेड होयल के साथ मिलकर 'गुरुत्वाकर्षण का होयल-नार्लीकर सिद्धांत' दिया।

  • By आकाश मसने
Updated On: May 20, 2025 | 10:58 AM

खगोलशास्त्री जयंत नार्लीकर (सोर्स: सोशल मीडिया)

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पुणे: वरिष्ठ खगोलशास्त्री जयंत नार्लीकर का वृद्धावस्था के कारण निधन हो गया है। उनका निधन पुणे स्थित उनके आवास पर सोते समय हुआ। डॉ. जयंत नार्लीकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति के खगोलशास्त्री थे। उनका जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने सर फ्रेड होयल के साथ मिलकर “गुरुत्वाकर्षण का होयल-नार्लीकर सिद्धांत” दिया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (1965) और पद्म विभूषण (2004) से सम्मानित किया है।

नार्लीकर ने अन्तर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केन्द्र (आईयूसीए) की स्थापना की तथा इसके निदेशक के रूप में कार्य किया। उनकी पत्नी वरिष्ठ गणितज्ञ डॉ. मंगला नार्लीकर का जुलाई 2023 में पुणे में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थीं।

कई पुस्तकें लिखी

डॉ. मंगला नार्लीकर ने विज्ञान के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह ‘स्टार्स इन द स्काई’ पुस्तक की सह-लेखिका हैं तथा उन्होंने स्वतंत्र रूप से ‘कंट्रीज सीन, पीपल मेट’ पुस्तक भी लिखी है। डॉ. जयंत नार्लीकर का विज्ञान पर उत्कृष्ट लेखन विभिन्न मराठी पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होता रहता है। उनकी कई पुस्तकों का विश्व भर की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और उन्होंने विज्ञान के जनोन्मुखी स्वरूप को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पद्म भूषण समेत इन पुरस्कारों से नवाजे गए

डॉ. जयंत नार्लीकर के वैज्ञानिक कार्यों को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा मान्यता दी गई है, और उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 1965 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया तथा 2004 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। इसके अलावा, डॉ. भटनागर मेमोरियल पुरस्कार, एम. पी. बिड़ला पुरस्कार, तथा फ्रेंच एस्ट्रोलॉजिकल सोसायटी से पिक्स जूल्स जेन्सन पुरस्कार जैसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी उन्हें प्राप्त हुए।

आखिरकार पूरी हो गई छगन भुजबल की ख्वाहिश, राजभवन में ली मंत्री पद की शपथ

डॉ. नार्लीकर लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के फेलो हैं। वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और तृतीय विश्व विज्ञान अकादमी के फेलो भी हैं। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने उन्हें इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया है। वैज्ञानिक साहित्य लेखन और विज्ञान प्रसार में उनके योगदान के लिए यूनेस्को ने उन्हें 1996 में ‘कलिंग पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उनके लेखन ने विज्ञान को आम आदमी के करीब लाने का बड़ा काम किया है।

Senior astronomer jayant narlikar passes away

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Published On: May 20, 2025 | 10:58 AM

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