
पुणे: पुणे-सोलापुर नेशनल हाईवे (Pune-Solapur National Highway) के दोनों ओर बड़े पैमाने पर कचरा (Garbage ) फेंका जा रहा है। बढ़ते कचरे के कारण यह हाईवे मानों ‘कचरा डिपो’ (Garbage Depot) में बदल गया है। इस बारे में संबंधित विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कचरा फेंकने वालों पर कार्रवाई करने की मांग नागरिक कर रहे हैं।
पुणे-सोलापुर नेशनल हाईवे के पास स्थित गांव, कस्बों, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, बंगले, घर, होटल, ढाबे और दुकानें बनी हुई हैं। इसके चलते कचरा भी बढ़ गया है। कचरे को कचरे की गाड़ियों या संबंधित कचरा कुंडी में फेंकने की जरूरत है, लेकिन घरेलू कचरे के साथ-साथ होटल व्यवसायी गीला और सूखा कचरा हाईवे के पास और फुटपाथ पर फेंका जा रहा है।
इस कचरे में चाय के खाली कप, खराब सब्जियां, प्लास्टिक की बोतलें, कैरीबैग, खराब कपड़े, खाली बॉक्स, मुर्गियों के पंख, सड़ा हुआ मांस, मछलियों की गंदगी और गुटखा के पैकेट आदि शामिल हैं। इसके साथ ही मृत पशुओं को भी हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है। इसके चलते परिसर में अक्सर दुर्गंध फैली होती है। इससे वाहन चालकों और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बार-बार फेंका जा रहा कचरा आम लोगों को दिखाई देता है, लेकिन क्या टोल प्लाजा के संबंधित विभाग को यह कचरा दिखाई नहीं देता है? यह सवाल उठाया जा रहा है। कचरे में आवारा पशु घूमते हैं, यह पशु अचानक दौड़ने लगते हैं, इससे वाहनों के दुर्घटना का खतरा होता है। हाईवे और आस पास के क्षेत्र में साफ-सफाई करने के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन फिर भी हाईवे पर पड़े कचरे की समस्या अक्सर अनदेखी की जा रही है। कई बार इस कचरे के निपटारे के लिए उसमें आग लगा दी जाती हैं। तेज हवाओं के बीच यह आग आस पास फैल जाती है। जलते हुए कागज हवा में उड़ जाते हैं। आग के पास से पेट्रोल, डीजल, गैस और केमिकल लेकर जाने वाले वाहन गुजरते हैं। ऐसे समय में कोई बड़ा हादसा होने की संभावना होती है।






