
भोर नगर परिषद (सौ. सोशल मीडिया )
Pune Municipal Election: आगामी पुणे महानगर पालिका चुनाव को लेकर शहर का सियासी पारा चढ़ने लगा है। रविवार का दिन उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनकी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस (एपी) के लिए दोहरी सफलता लेकर आया।
एक तरफ चुनावी बिसात बिछाई जा रही थी, तो दूसरी तरफ अन्य दलों के बड़े चेहरों ने अजित पवार के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए ‘घड़ी’ का साथ थाम लिया। शनिवार को भाजपा द्वारा किए गए शक्ति प्रदर्शन के जवाब में रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस ने जबरदस्त पलटवार किया।
पुणे महानगर पालिका के स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष रशीद शेख सहित कई कद्दावर पूर्व नगरसेवकों ने अजित पवार की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। प्रवेश करने वालों में कांग्रेस के पूर्व दिग्गज रशीद शेख, पूर्व नगरसेवक मुक्तार शेख, मनसे की पूर्व नगरसेविका अस्मिता शिंदे,पूर्व नगरसेवक मिलिंद काची और श्वेता चव्हाण शामिल हैं। इन प्रवेशों ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी चुनाव में अजित पवार गुट पुणे में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पार्टी कार्यालय और बारामती हॉस्टल में सुबह 7:30 बजे से ही चुनावी सरगर्मी तेज थी। अजित पवार ने खुद इच्छुक उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए। हालांकि, प्रत्येक प्रभाग के लिए 20 मिनट का समय तय किया गया था, लेकिन उम्मीद्वारों की भारी संख्या के कारण समय का गणित बिगड़ गया और यह सिलसिला दिन भर चलता रहा।
इस राजनीतिक हलचल के बीच सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व नगरसेविका जयश्री मारणे और अजित पवार की मुलाकात की रही। कुख्यात गजा मारणे की पत्नी जयश्री मारणे ने बारामती हॉस्टल जाकर उपमुख्यमंत्री से मुलाकात की। 2012 में मनसे के टिकट पर नगरसेविका रह चुकीं जयश्री 2022 में एनसीपी में शामिल हुई थीं।
राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मानी जाने वाली भोर नगर परिषद में राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) ने अपना परचम लहरा दिया है। इस बेहद रोमांचक और कांटे की टक्कर वाले मुकाबले में एनसीपी के रामचंद्र आवारे ने नगर अध्यक्ष पद पर शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने थोपटे समर्थित उम्मीदवार को 170 मतों के मामूली लेकिन निर्णायक अंतर से पराजित किया। भोर का यह चुनाव केवल स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं, बल्कि दिग्गजों के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया था।
भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मैदान में उतरकर धुआंधार प्रचार सभाएं की थीं। वहीं दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रामचंद्र आवारे के पीछे अपनी पूरी राजनीतिक ताकत झोंक दी थी।
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आखिरकार भोर के मतदाताओं ने मुख्यमंत्री के करिश्मे के बजाय अजित पवार की रणनीति और आवारे के नेतृत्व पर भरोसा जताया। पिछले कई दशकों से भोर क्षेत्र कांग्रेस और विशेष रूप से थोपटे परिवार का अभेद्य गढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद संग्राम थोपटे ने भाजपा का दामन थामकर अपनी राजनीतिक पकड़ फिर से मजबूत करने की कोशिश की थी।






