कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Nikaay Chunaav: पुणे महानगरपालिका चुनाव में घोषित आरक्षण लॉटरी में ज्यादातर पूर्व नगरसेवकों को राहत मिली है। प्रभाग रचना तय होने के बाद यह आरक्षण लॉटरी हुई है, जिससे अब राजनीतिक गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है, लेकिन पूर्व उपमहापौर डॉ सिद्धार्थ धेंडे और सरस्वती शेंडगे को इस आरक्षण लॉटरी में राहत नहीं मिली है।
कई जगहों पर पुराने और नए नगरसेवकों के एक बार फिर आमने-सामने आने की संभावना है। यह चुनाव चार-सदस्यीय प्रभाग प्रणाली से होगा जिसमें कुल 165 नगरसेवकों का चुनाव होगा। 41 प्रभाग निश्चित किए गए हैं, जिनमें से 40 प्रभाग चार-सदस्यीय और आंबेगांव-कात्रज एकमात्र पांच-सदस्यीय प्रभाग है।
आरक्षण में बदलाव की वजह से कई वरिष्ठ पूर्व नगरसेवकों को अब ओपन सीट से चुनाव लड़ना होगा। राजश्री काले, पूर्व उपमहापौर सिद्धार्थ धेंडे, अविनाश बागवे, सनी निम्हण, युवराज बेलदरे, प्रकाश ढोरे और प्रकाश कदम के सामने नई राजनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई है।
वहीं, कई विधायक अपने परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारने के लिए रणनीति बना रहे है। कसबा गणपति केईएम प्रभाग में एक बार फिर भाजपा के गणेश बिडकर और कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर आमने-सामने आ सकते हैं।
इस प्रभाग में दो ओपन, एक ओबीसी महिला और एक ओपन महिला सीट है। भाजपा नेता और पुणे महापालिका चुनाव प्रमुख गणेश बिडकर सामान्य गट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व विधायक रवींद्र धंगेकर अपने बेटे को इस प्रभाग से उतारने पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में बिडकर बनाम धंगेकर का हाई वोल्टेज मुकाबला देखने को मिल सकता है।
भाजपा के ज्यादातर पूर्व नगरसेवकों का आरक्षण पहले जैसा ही बना हुआ है जिससे उन्हें राहत मिली है, लेकिन नए प्रभाग और बदले हुए आरक्षण के कारण उम्मीदवार चयन में भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता वसंत मोरे प्रभाग क्रमांक 38-ई से मैदान में उतरेंगे, खास बात यह है कि उनके बेटे भी प्रभाग क्रमांक 40-डी से चुनाव लड़ने वाले हैं। पिता-पुत्र दोनों का अलग-अलग प्रभागों से जीतना मोरे परिवार के लिए प्रतिष्टे की लड़ाई होगी।
प्रभाग 26 (घोरपडे पेठ-गुरुवार पेठ-समताभूमी): यहां केवल एक सामान्य सीट है, जिस पर भाजपा के अजय खेडेकर और सम्म्राट थोरात के बीच रस्साकशी हो सकती है। प्रभाग 24 (कसबा गणपति केईएम): पहले शिवसेना की पल्लवी जावले अनुसूचित जाति (महिला) आरक्षण पर जीती थीं, अब यह आरक्षण हट गया है।
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जावले अब भाजपा में हैं और उन्हें नई सीट की तलाश करनी होगी। इस आरक्षण लॉटरी के बाद पुणे का पूरा राजनीतिक समीकरण बदल गया है। कई नेताओं के चेहरों पर खुशी है, तो कुछ के खेमों में चिंता का माहौल है।