तनीषा भिसे के बच्चों को सीएम राहत कोष से मदद (सौजन्य-सोशल मीडिया)
पुणे: पुणे में प्रसिद्ध दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में पैसों की कमी के कारण इलाज ने करने के बाद गर्भवती तनीषा भिसे की मौत के बाद अब उनके बच्चों का उपचार चल रहा है। दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में इलाज के लिए इनकार करने से गर्भवती तनीषा भिसे की प्रसव के दौरान दो बच्चों को जन्म देने के बाद दुर्भाग्यवश मृत्यु हो गई थी।
तनीषा भिसे ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन दोनों नवजात शिशुओं का वजन बहुत कम होने के कारण उन्हें गहन डॉक्टरों ने भर्ती कर विशेष निगरानी में रखा और अब उनकी देखभाल की जा रही है। गर्भवती की मृत्यु का मामला सामने आने के बाद अस्पताल के खिलाफ जांच समिति बिठाई गई और मुख्यमंत्री राहत कोष प्रकोष्ठ के माध्यम से इन शिशुओं के उपचार के लिए 24 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है।
इस मामले में मुख्यमंत्री राहत कोष प्रकोष्ठ के प्रमुख रामेश्वर नाइक ने कहा मुख्यमंत्री राहत कोष प्रकोष्ठ द्वारा प्रदान की गई यह सहायता अस्पताल के दिए गए बजट के अनुसार प्रदान की गई है। यदि आगे उनके उपचार की आवश्यकता होती है, तो पूरा खर्च प्रकोष्ठ द्वारा वहन किया जाएगा।
तनीषा भिसे के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुणे के प्रसिद्ध दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में पैसे की कमी के कारण उन्हें समय पर उपचार नहीं मिला। उसके बाद कई संस्थाओं, संगठनों और दलों ने अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में समितियां बनाई गईं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया था। तनीषा भिसे की मौत के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुरंत भिसे परिवार से मुलाकात की और पूरी जानकारी ली। उस समय उन्होंने यह भी कहा था कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने मदद का आश्वासन भी दिया।
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मुख्यमंत्री राहत कोष प्रकोष्ठ के प्रमुख रामेश्वर नाइक ने बताया कि शुक्रवार 2 मई को सहायता राशि संबंधित अस्पताल को ट्रांसफर कर दी गई। एक बच्चे के इलाज के लिए 10 लाख रुपये और दूसरे बच्चे के लिए 14 लाख रुपये की सहायता राशि दी गई है। फिलहाल दोनों बच्चों का इलाज पुणे के सूर्या अस्पताल में चल रहा है और उनकी हालत में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल मामले में पैसे मांगने वाले डॉक्टर सुश्रुत घैसास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। इसके बाद डॉक्टर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। डॉक्टर के खिलाफ कथित आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया गया था।