
पुणे वेस्ट डिपो (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: फुरसुंगी-उरुली देवाची स्थित कचरा डिपो में वर्षों से जमा कचरे के निस्तारण का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है। यहां मौजूद करीब 28 लाख टन कचरे के जैविक उत्खनन (बायोमाइनिंग) कार्य को लेकर प्रशासन और ठेकेदारों के बीच 550 रुपये प्रति टन प्रोसेसिंग फीस पर सहमति बन गई है।
इससे पहले कुछ ठेकेदारों ने 725 रुपये प्रति टन से अधिक की दर भरी थी, लेकिन अब वे भी न्यूनतम दर पर काम करने को तैयार हो गए हैं।
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पुणे महानगर पालिका को वर्ष 2027 तक इस कचरे का पूर्ण निस्तारण करने की सख्त डेडलाइन दी है। इसी के मद्देनजर प्रशासन ने प्रक्रिया को तेज किया है।
सोमवार, 15 दिसंबर तक सभी ठेकेदारों को फाइनल करने का प्रयास जारी है। साथ ही, महानगर पालिका चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले स्थायी समिति की बैठक में इन टेंडरों को मंजूरी मिलने की संभावना भी जताई जा रही है।
मनपा प्रशासन और ठेकेदारों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। इस चर्चा में पैकेज एक से चार तक के लिए 550 रुपये प्रति टन की व दर पर काम करने पर सहमति बन चुकी है। प्रशासन का कहना है कि पैकेज पांच के लिए भी जल्द समाधान निकल आएगा।
फुरसुंगी-उरुली देवाची डिपो में कुल 28 लाख टन कचरा जमा है। इसे हटाने के लिए मनपा ने प्रति 5।60 लाख टन कचरे के हिसाब से कुल पांच टेंडर जारी किए थे।
इन टेंडरों को अच्छा प्रतिसाद मिला, शुक्रवार 12 दिसंबर को जब वित्तीय ‘बी’ पैकेट खोले गए तो सबसे कम दर 550 रुपये प्रति टन सामने आई। टेंडर की शर्तों के अनुसार, जिरा दर पर सबसे कम बोली लगती है, उसी दर पर सभी पांच टेंडरों का कार्य करना ठेकेदारों के लिए अनिवार्य होता है। इसी आधार पर पैकेज दी में 550 रुपये प्रति टन की दर तय हुई।
शुरुआत में कुछ ठेकेदारों ने यह तर्क दिया कि 550 रुपये प्रति टन की कम दर पर बायोमाइनिंग संभव नहीं है। हालांकि, कई ठेकेदार इस दर पर काम करने के लिए तैयार हो गए। इसी दौरान, कुछ उपद्रवी तत्वों द्वारा ठेकेदारों पर दबाव डालने और टेंडर रद्द कराने के प्रयास किए गए, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता की कोशिश सामने आने पर महानगर पालिका आयुक्त नवल किशोर राम ने ठोस कचरा विभाग से जुड़े कुछ अधिकारियों का तत्काल तबादला कर दिया। इसके बाद अतिरिक्त आयुक्त पवनीत कौर ने पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाई, इससे मनपा को प्रति टन लगभग 150 रुपये से अधिक की सीधी बचत हो रही है। और सार्वजनिक धन की संभावित बर्बादी रोकी जा सकी है।
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गौरतलब है कि उरुली देवाची और फुरसुंगी डिपो में नया कचरा डालना पहले ही बंद कर दिया गया है। वर्ष 2018 से अब तक करीब 30 लाख मैट्रिक टन कचरे पर बायोमाइनिंग की जा चुकी है, जिससे 20 एकड़ से अधिक भूमि खाली हुई है। शेष 28 लाख टन कचरे को हटाकर इस क्षेत्र को पूरी तरह मुक्त करना अब प्रशासन का लक्ष्य है, जिसे कम लागत और तेज गति से पूरा करने की तैयारी है।






