
पुणे न्यूज (सौ. डिजाइन फोटो )
Pimpri Chinchwad News: पिंपरी-चिंचवड शहर की प्यास बुझाने के लिए मावल के पवना बांध से निगडी तक सीधी पाइपलाइन बिछाने की योजना पिछले 18 वर्षों से राजनीतिक दांव-पेंच और प्रशासनिक सुस्ती की भेंट चढ़ी हुई है।
बिना ठोस नियोजन, किसानों पर हुई पुलिस फायरिंग और मावल बनाम पिंपरी चिंचवड के बीच राजनीतिक दलों के दोहरे मापदंड ने इस ‘महत्वाकांक्षी परियोजना’ को अधर में लटका दिया है। इसके अलावा, मूल प्रोजेक्ट भी 400 करोड़ रुपये से बढ़कर एक हजार करोड़ के पार चला गया है,
उल्लेखनीय है कि परियोजना में देरी का सबसे बड़ा खामियाजा प्रशासन को आर्थिक नुकसान के रूप में भुगतना पड़ रहा है। साल 2008 में जब इस परियोजना की शुरुआत हुई थी, तब इसकी अनुमानित लागत 400 करोड़ रुपये थी।
अब 18 साल बाद यह रकम बढ़कर 1,015 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। महानगर पालिका प्रशासन ने इस बढ़ी हुई लागत के लिए राज्य सरकार के पास नवा प्रस्ताव भेजा है, लेकिन फंड की मंजूरी अब भी फाइलों में अटकी है।
अधिग्रहण को लेकर खूनी संघर्ष भी 30 अप्रैल 2008 को जेएनएनयूआरएम (जेएनएनयूआरएम) के तहत शुरू हुई इस परियोजना का काम वर्ष 2010 तक पूरा होना था। लेकिन 9 अगस्त 2011 को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर मावल के किसानों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प और पुलिस फायरिंग में तीन किसानों की मौत ने पूरे समीकरण बदल दिए। अगले ही दिन राज्य सरकार ने काम पर रोक लगा दी। लगभग 34.71 किमी लंबी पाइपलाइन में से अब तक महज 4.40 किमी। पाइपलाइन का ही काम हो सका है।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की इस ड्रीम प्रोजेक्ट से जुलाई 2023 में कानूनी रोक तो हट गई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई हलचल नहीं है, माचल और पिंपरी-चिंचवड के नेताओं का दोहरा रवैया सबसे बड़ी बाधा है। मादल के सर्वदलीय नेता स्थानीय किसानों की नाराजगी और वोट बैंक खोने के डर से इस परियोजना का गुप्त या प्रत्यक्ष रूरूप से विरोध करते आए हैं।
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राज्य सरकार ने पवना खाका तैयार किया है, जिसकी लागत 1,015 करोड़ रुपये है। हमन निधि के लिए प्रस्ताव भेजा है, धनराशि प्राप्त होते ही नई निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
– प्रमोद आभासे, मुख्य अभियंता, पिपरी-चिंचवत मनपा






