"संविधान सबका है; मतपेटी से आगे जाकर समाज के लिए काम करें", नीलम गोर्हे ने क्यों कहा ऐसा?
Pune News: शिवसेना भवन, सारसबाग में आयोजित ‘शाखा तिथे संविधान’ (जहां शाखा, वहां संविधान) अभियान में विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने संविधान दिवस के अवसर पर मार्गदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय, आरक्षण के मूल उद्देश्य और बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों की आज की प्रासंगिकता पर संक्षिप्त लेकिन स्पष्ट टिप्पणी की.
डॉ. गोर्हे ने कहा कि संविधान किसी एक समाज का नहीं, बल्कि सभी नागरिकों का है. सामाजिक समानता स्थापित होने तक शैक्षणिक और नौकरियों में आरक्षण आवश्यक है.” उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुनः रेखांकित की गई 50% आरक्षण सीमा, बाबासाहेब द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत और इतिहास के संघर्षों को उपस्थित लोगों के समक्ष रखा.
शिवसेना की शिव शक्ति-भीम शक्ति परंपरा, मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नामांतरण आंदोलन और दलित-बहुजन समाज की राजनीतिक भागीदारी के संबंध में शिवसेना की भूमिका पर भी उन्होंने प्रकाश डाला. महात्मा फुले की पुण्यतिथि के अवसर पर फुले-आंबेडकर विचारों की वर्तमान उपयोगिता को भी उन्होंने रेखांकित किया. महिला सुरक्षा के बारे में बोलते हुए हाल की गंभीर घटनाओं का संदर्भ देते हुए प्रशासन द्वारा तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता व्यक्त की.
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“केवल राजनीति तक सीमित न रहें, समाज के लिए काम करें,” ऐसा आह्वान भी उन्होंने कार्यकर्ताओं से किया. कार्यक्रम में प्रत्येक शाखा में संविधान की प्रस्तावना लगाने, 6 दिसंबर को विशेष स्थिति देने और संविधान तथा राजनीति शास्त्र पर साप्ताहिक व्याख्यानमाला शुरू करने के सुझाव दिए.