पुणे नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार (pic credit; social media)
Corruption in Pune River Purification: पुणे जारका द्वारा वित्त पोषित 915 करोड़ रुपये की लागत वाला पुणे नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट अब गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरता दिखाई दे रहा है। आपले पुणे, आपला परिसर संगठन ने महापालिका अधिकारियों, सलाहकारों और ठेकेदारों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए जनता के पैसों का भारी दुरुपयोग हुआ है।
संगठन के पदाधिकारी उज्ज्वल केसकर, सुहास कुलकर्णी और पूर्व नगरसेवक प्रशांत बर्थ का कहना है कि प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य नदी को प्रदूषण मुक्त करना था, लेकिन अब तक किए गए काम से साफ हो गया है कि धनराशि का बेमतलब खर्च किया गया। उनके अनुसार लगभग 600 करोड़ रुपये भवन निर्माण और अन्य गैर-जरूरी कार्यों में खर्च हो गए, जबकि मुख्य काम पानी, सीवरेज और ड्रेनेज लाइन की उचित व्यवस्था अभी भी अधूरी है।
प्रतिष्ठित परियोजना के तहत 130 एमएलडी क्षमता का शुद्धिकरण प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहा है। इसके बावजूद जारका ने 75 एमएलडी क्षमता का नया प्रोजेक्ट शुरू किया, जो आज भी अधूरा पड़ा है। संगठन ने सवाल उठाया कि पहले से पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है तो नया प्रोजेक्ट क्यों शुरू किया गया।
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साथ ही 388 करोड़ रुपये की बायोगैस योजना भी तैयार की गई, जिसमें केवल सलाहकार शुल्क के तौर पर 30 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रस्ताव है। विशेषज्ञों के अनुसार पुणे में पानी का बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर केवल 180 मिलीग्राम/लीटर है, जबकि बायोगैस प्रोजेक्ट के लिए यह 350-400 होना चाहिए।
आपले पुणे संगठन का आरोप है कि महापालिका अधिकारी, सलाहकार और ठेकेदार एक साठगांठ के तहत प्रोजेक्ट चला रहे हैं। कार्यों की प्राथमिकता बदल दी गई और जनता के धन का गलत दिशा में उपयोग किया जा रहा है। इससे न केवल प्रोजेक्ट विफल हो रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार भी बढ़ रहा है।
संगठन ने महापालिका आयुक्त नवल किशोर राम को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच और वित्तीय ऑडिट की मांग की है। शहरवासियों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट केवल कागजों पर सफल दिख रहा है। वास्तविकता में नदियां अभी भी प्रदूषित हैं और गंदगी व सीवेज का बहाव जारी है।