
पुणे न्यूज (सौ. डिजाइन फोटो )
Pune News In Hindi: हवेली तहसील के थेऊर स्थित यशवंत सहकारी शुगर मिल की जमीन बिक्री पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री के इस फैसले को उपमुख्यमंत्री और जिले के पालक मंत्री अजीत पवार को एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
यह मामला पुणे कृषि उत्पन्न बाजार समिति (APMC) को शुगर मिल की 99 एकड़ 97 गुंठा जमीन 299 करोड़ रुपये में बेचने से जुड़ा है, जिसे राज्य सरकार ने पहले ही मंजूरी दे दी थी। पुणे कृषि उत्पन्न बाजार समिति के संचालक प्रशांत कालभोर की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने यशवंत शुगर मिल की जमीन बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी।
उन्होंने साखर आयुक्त और पणन संचालक को स्थगन की सूचना दी है। कालभोर ने खरीद-बिक्री के लिए राजस्व विभाग की अनिवार्य अनुमति न लिए जाने का मुद्दा उठाया था। मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) की जांच पूरी होने तक लेन-देन रोकने और कालभोर के ज्ञापन पर स्वयं-स्पष्ट राय सहित तत्काल रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
हवेली कृषि उत्पन्न बाजार समिति का संचालक मंडल सर्वदलीय है, लेकिन जमीन खरीद के सौदे को लेकर इसमें शुरू से ही विवाद था। इसका परिणाम सीधे मंत्रालय में शिकायत के रूप में सामने आया। दिलचस्प बात यह है कि बाजार समिति के सभापति और यशवंत कारखाने के अध्यक्ष सगे भाई हैं।
कारखाने के कार्यक्षेत्र में कई सदस्यों ने शुरू से ही यह आपति उठाई थी कि कारखाने को पुनर्जीवित करने के लिए इतनी बड़ी रकम और महत्वपूर्ण जमीन बेचने की कोई आवश्यकता नहीं है, प्रशांत कालभोर ने मुख्यमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में कई अन्य गभीर आपत्तियां भी उठाई है।
एक महत्वपूर्ण आपति यह है कि कारखाने के स्वामित्व वाली कुछ जमीने ऐसी थी जिन्हें अधिग्रहण के समय चिचवड़ देवस्थान के इनाम वर्ग तीन में शामिल किया गया था। इस प्रकार की जमीन की बिक्री के लिए राज्य सरकार के राजस्व विभाग की अनुमति आवश्यक होती है।
यशवंत कारखाने और कृषि उत्पन्न बाजार समिति के जमीन खरीद-बिक्री मामले में, संबंधित जमीनों के स्वामित्व अधिकार के संबंध में जिलाधिकारी वा राजस्व विभाग की राय (अभिप्राय) नहीं ली गई थी, कानूनी जांच किए बिना ही प्रस्ताव प्रस्तुत करने के कारण यह पूरी प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण पाई गई है। यह प्रस्ताव बहुमत के दम पर पारित किया गया था। अगर कानूनी प्रक्रिया पूरी की मई होती, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
– प्रशांत कालभोर, संचालक, कृषि उत्पन्न बाजार समिति, पुणे
राजस्व विभाग की कानूनी अनुमति ली जाएगी। साथ ही, अन्य आवश्यक अनुमतियां भी प्राप्त की जाएंगी। इससे पहले 117 एकड़ जमीन की बिक्री के लिए राज्य सरकार ने राज्य सहकारी बैंक को अनुमति दी थी। उस समय नौ बार नीलामी प्रक्रिया हुई, फिर भी वह जमीन चिक नहीं पाई। यह शिकायते राजनीतिक विद्वेष के कारण दी जा रही है ताकि यह सौदा पूरा न हो सकें, इन शिकायतों में कोई तथ्य नहीं है।
– प्रकाश जगताप, सभापति, कृषि उत्पन्न बाजार समिति, पुणे
कालभोर ने मुख्यमंत्री से यह जांच करवाने की मांग की है कि क्या वास्तव में इन जमीनों को वर्ग तीन से मुक्त (खालसा) किया गया है। राजस्व विभाग को इन कानूनी पहलुओं की जांच करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा जमीन बिक्री पर रोक लगाने का यह फैसला, उस समय आया है जब पुणे बाजार समिति और यशवंत कारखाने दोनों पर अजीत पवार गुट का अप्रत्यक्ष नियंत्रण है।
ये भी पढ़ें :- Pune: पिंपरी-चिंचवड में 102 करोड़ टैक्स अटका, नया कानून बना बाधा
यह स्पष्ट रूप से उपमुख्यमंत्री को एक बड़ी राजनीतिक चुनौती है। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप ने इस महत्वपूर्ण वित्तीय सौदे को कानूनी और राजनीतिक विवादों के घेरे में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट क्या निष्कर्ष निकलता है और क्या यह सौदा अंततः रद्द होता है या कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद आगे बढ़ता है।






