पुणे में 40 गणेश मंडलों पर कार्रवाई (pic credit; social media)
Action on Ganesh Mandals: गणेश विसर्जन जुलूसों में ध्वनि प्रदूषण और नियमों की उल्लंघना के मामले में पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है। शहर के 40 गणेश मंडलों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ये कार्रवाई लाउडस्पीकर और डीजे का आवाज स्तर तय सीमा से अधिक होने और लेजर बीम का इस्तेमाल करने के कारण की गई है। पुलिस ने डीजे संचालकों, वाहन मालिकों और मंडल अध्यक्षों को भी आरोपी बनाया।
पुलिस ने पहले ही निर्देश जारी किए थे कि विसर्जन जुलूस में लेजर लाइट का उपयोग नहीं किया जाए और लाउडस्पीकर की आवाज तय सीमा से अधिक न हो। लेकिन कई मंडलों ने इन आदेशों की अनदेखी की। पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय के सभी इलाकों में जोरदार डीजे और लाउडस्पीकर बजाए गए। पुलिस ने ‘नॉइज लेवल मीटर’ से आवाज का स्तर मापा, जहां सीमा का उल्लंघन पाया गया, वहां तुरंत केस दर्ज किए गए।
विभिन्न थानों में दर्ज मामलों का विवरण इस प्रकार है: वाकड़ थाने में 17 मंडलों के खिलाफ, पिंपरी में 8, निगडी में 5, सांगवी में 5, दापोडी में 3 और तलेगांव-दाभाडे में 2 मंडलों पर कार्रवाई हुई। प्रशासन का कहना है कि कागजों पर डीजे पर प्रतिबंध है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका पालन नहीं हुआ।
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पुलिस उपायुक्त शिवाजी पवार ने बताया कि यदि डीजे संस्कृति पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो आने वाली पीढ़ी मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ सकती है। उन्होंने कहा कि नियम तो स्पष्ट हैं, लेकिन कई जगह जुलूसों में कानफाड़ू डीजे, ढोल-ताशे और लेजर लाइट्स का व्यापक उपयोग हुआ।
नागरिक प्रशांत पवार ने कहा कि विसर्जन और अन्य जुलूसों में तेज ध्वनि और लेजर लाइट्स ने उन्हें परेशान कर दिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महापालिका बार-बार नियमों के पालन का दावा करती हैं, लेकिन वास्तविकता में ध्वनि स्तर 100 डेसिबल तक पहुंचा, जबकि आवासीय क्षेत्रों में सीमा 55 डेसिबल है। पुलिस ने हर मंडल को नोटिस जारी किए और मीटिंग में डीजे न बजाने की अपील की। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।