पुणे जिला परिषद (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News: राज्य में जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव अब दरवाजे पर आ खड़ी हुई हैं। मुंबई उच्च न्यायालय ने गट और गण आरक्षण पद्धति को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
इसके बाद चुनावी बिगुल फूंकने की केवल औपचारिकताएं ही बाकी रह गई है, लेकिन इस चुनावी रणभूमि से पहले ही इच्छुक उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों की सबसे बड़ी उत्सुकता गटवार आरक्षण लॉटरी पर आकर टिक गई है।
इस बार आरक्षण पद्धति में बड़ा बदलाव किया गया है। अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुपात पर तय होगा। इसके बाद शेष गटों पर ओबीसी का आरक्षण जनसंख्या के उतरते क्रम में निकाला जाएगा। इस नई पद्धति के कारण विशेष रूप से पुणे जिला परिषद की समीकरण पूरी तरह से बदलने की संभावना है।
महिलाओं के लिए भी पर्याप्त अवसर रखे गए हैं। कुल 37 गट महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। इनमें एससी गटों से 4, एसटी गटों से 3, ओबीसी से 10 और सर्वसाधारण वर्ग से 20 गट शामिल हैं। इसके अलावा जिले की 13 पंचायत समितियों के सभापति पदों का आरक्षण भी घोषित कर दिया गया है, जिसमें विभिन्न सामाजिक वर्गों के साथ महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।
इस बार सबसे ज्यादा चर्चा जिला परिषद अध्यक्ष पद को लेकर है। पिछली बार यह पद जनरल कैटोगरी महिला वर्ग के लिए आरक्षित था, लेकिन इस बार यह पद ओपन वर्ग के लिए आरक्षित होने से कई दिग्गज और नेता मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। विधानसभा में भविष्य की राजनीतिक राह के लिए अध्यक्ष पद को एक महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है इसलिए पर्दे के पीछे गुटबाजी और पक्ष-प्रमुखों के पास लॉबिंग शुरू हो गई है।
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पुणे जिले के 73 गटों की आरक्षण बंटवारे के बाद अब असली लड़ाई उम्मीदवारों के चयन और प्रचार पर केंद्रित होगी। आरक्षण घोषित होने के बाद सभी गट का राजनीतिक चित्र बदल जाएगा और इच्छुक उम्मीदवारों का ध्यान सिर्फ अपने गट में कौन-सा आरक्षण लागू होता है इस पर ही केंद्रित है। इससे पूरे जिले का राजनीतिक तापमान चढ़ गया है और चुनाव के लिए जिले का राजनीतिक रंगमंच अब पूरी तरह तैयार हो रहा है।