(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Pune News In Hindi: हवेली तहसील के थेऊर स्थित यशवंत सहकारी साखर कारखाने की 42वीं वार्षिक आम सभा (AGM) रविवार को कोलवड़ी के लक्ष्मी गार्डन में आयोजित की गई। पिछली सभाओं की तरह ही, यह बैठक भी भारी हंगामे और शोरगुल के माहौल में संपन्न हुई।
कारखाने के कार्यकारी संचालक कैलाश जरे ने जैसे ही विषय-सूची एजेंडा पर रखे गए विषयों को पढ़कर सुनाया और सदस्यों से उनकी मंजूरी मांगी, हंगामा शुरू हो गया, संचालक मंडल ने इस हंगामेदार वातावरण का लाभउठाते हुए, सभी विषयों को ध्वनि मत से तुरंत पारित करा लिया और मात्र पांच मिनट में ही सभा का कार्य समेट लिया।
इस सभा में कारखाने के अध्यक्ष सुभाष जगताप ने संचालक मंडल के कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मंडल ने कारखाने के खर्च में लगभग 100 करोड़ रुपये की बचत की है। इस राशि का उपयोग एक ही बार में उन बैंकों को भुगतान करने में किया गया जिनका कर्ज कारखाने पर था। इस कारण कारखाने की सभी जमीनें कर्ज से मुक्त हो गई हैं।
जगताप ने पूर्व संचालक पांडुरंग काले और उनके सहयोगियों द्वारा लड़े गए कानूनी संघर्ष को महत्वपूर्ण बताया, उन्होंने दावा किया कि संचालक मंडल ने कारखाने को उसकर खोया हुआ गौरव वापस दिलाने के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से लगातार संपर्क कर सरकारी स्तर पर अपनी भूमिका रखी, ने जिसके परिणामस्वरूप यह निर्णय लिया जा सका।
किसान बचाव कृति समिती के सदस्य विकास लवांडे नेने विषय सूची में शामिल पुरानी सभा के कार्यवृत को क पढ़ने और स्थायी करने के विषय पर आपत्ति दर्ज न कराई। इस सभा में कार्यवृत्त पढ़ने में 20 से 25 मिनट लगते हैं। उसके बाद सभा केवल 5 से 10 मिनट में सभा पूरी हुई। इससे भी गंभीर बात यह रही कि लवांडे ने कारखाने की जिस जमीन को बेचने की योजना है। उसके गट संख्या में विसंगति को उजागर किया, उन्होंने बताया कि कारखाने की रिपोर्ट में दिए गए गट नंबर और संचालक मंडल ने कृती उत्पन्न बाजार समिति को दिए गए वास्तविक रिपोर्ट के गट नहरों में अंतर है, पिछले कुछ दिनों से यशवंत कारखाने की जमीन को कृषि उत्पन्न बाजार समिति द्वारा 299 करोड़ रुपये में खरीदने की खबरें थी।
राज्य सरकार ने पुणे बाजार समिति के उप-बाजार के लिए यह जमीन खरीदने की मंजूरी दे दी है। लेकिन सरकार ने एक शर्त भी रखी है कि यह सौदा उच्च न्यायालय में दायर टिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। इसके बावजूद बाजार समिति ने 36 करोड़ रुपये की राशि कारखाने के खाते में जमा कर दी है।
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लवांडे ने राजनीतिक आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि भोर स्थित राजगड साखर कारखाने को जी सरकारी मदद मिली है, उसके पोछे बड़ा राजनीतिक उद्देश्य है। राजगड के अध्यक्ष संग्राम थोपटे के भाजपा में प्रवेश करने के कारण ही उन्हें यह लाभ मिला। लवांडे का आरोप है कि यशवंत के सभी संचालक मंडल भी अगर भाजपा में शामिल होते हैं। तो उन्हें भी यह लाभ मिलेगा। सरकार की ओर से यशंवत शुगर मिल के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।