अनिल देशमुख और प्रफुल पटेल (फोटो: ANI)
नागपुर. एक समय विदर्भ में एकसंघ एनसीपी के दो ही नेता प्रफुल्ल पटेल और अनिल देशमुख हुआ करते थे। इनके बिना पार्टी का पन्ना आगे नहीं बढ़ रहा था। विदर्भ में पार्टी के सुनहरे दिन लाने के लिए दोनों ने कई बार साथ मिलकर काम किया। हालांकि एनसीपी के टूटते ही पटेल देशमुख पर गाज गिरा रहे हैं। काटोल का विकास क्यों नहीं किया यह सवाल पूछ रहे हैं जब हम साथ थे तब भी काटोल के साथ विदर्भ की उपेक्षा हुई। बड़े दिल से कहने की हिम्मत कोई नहीं करता।
शनिवार को काटोल में आयोजित जन सम्मान यात्रा कार्यक्रम के दौरान पटेल ने देशमुख का नाम लिये बगैर काटोल के विकास के मुद्दे को हवा दे दी। राकां के विभाजन के बाद ये दोनों नेता एक-दूसरे के राजनीतिक दुश्मन बन गये हैं। कुछ महीने पहले उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए सबसे पहले आरोप लगाया था कि काटोल और विदर्भ में मौके मिले तो देशमुख ने सक्रियता नहीं दिखाई।
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उन्होंने कहा कि देशमुख विदर्भ का नेतृत्व कर रहे थे और वे राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे थे। अब अलग पार्टी में होने के कारण पटेल सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर रहे हैं। इतना ही नहीं देशमुख पटेल के गोंदिया जिले पर भी फोकस कर रहे हैं। कुछ दिन पहले देशमुख ने गोंदिया जिले का दौरा किया था और पार्टी संगठन की समीक्षा की थी। शनिवार को जब पार्टी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार देशमुख के गढ़ काटोल में थे, पटेल ने सही समय पर वार किया।
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गठबंधन के दौरान यह सीट शिवसेना के पास थी। हालांकि, इसके बाद यह बीजेपी के कब्जे में आ गई। तब से बीजेपी यहां चुनाव लड़ रही है। वह देशमुख ही थे जिन्होंने एनसीपी के एकजुट होने पर चुनाव लड़ा और जीता। एक बार उनके भतीजे और बीजेपी उम्मीदवार आशीष देशमुख ने उन्हें हरा दिया था। अब एनसीपी पर अजीत पवार गुट की ओर से दावा किया गया है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने साफ कर दिया है कि जनसम्मान यात्रा केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र में की जा रही है जहां उनका उम्मीदवार होगा। इसलिए अब यह स्पष्ट है कि एनसीपी अजीत पवार समूह इस निर्वाचन क्षेत्र पर दावा करेगा।