शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल (pic credit; social media)
मुंबई: भाजपा से हुई मुलाकात के बाद अटकलें चल रही थी कि जयंत पाटिल शरद पवार गुट को छोड़ बीजेपी में शामिल होंगे। लेकिन एनसीपी प्रमुख जयंत पाटील ने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने किसी भाजपा नेता से मुलाकात की और न ही उन्हें किसी तरह का कोई प्रस्ताव मिला है।
मीडिया से हुई बातचीत में जयंत पाटिल ने कहा कि सभी खबरें ‘बेबुनियाद और निराधार’ है। मैं NCP पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं। मुझे लेकर बार-बार मिडीया में इस तरह की खबरें फैलाई जा रही है, जिससे मैं हैरान हूं।
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बीजेपी से कोई संपर्क नहीं
जयंत पाटील ने आगे कहा, मैंने बीजेपी के किसी नेता से संपर्क नहीं किया है, न ही मुझे किसी ने बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा है। मैंने पहले भी कई बार इन अफवाहों का खंडन किया है, लेकिन यह सिलसिला बार-बार दोहराया जाता है। अगर कोई नेता किसी अन्य दल के नेता से मिल भी ले तो अटकलें लगाई जाने लगती हैं।
इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजना को प्राथमिकता देने की बात से वह सहमत हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह बीजेपी के विचारधारा या पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
सीएम से मुलाकात मतलब BJP में शामिल होना नहीं
विधानसभा में चर्चा के दौरान पाटिल ने कहा कि DBT जैसी योजनाएं उन राज्य योजनाओं से बेहतर हैं, जिनमें गरीबों को बर्तन जैसी सामग्री दी जाती है, क्योंकि अक्सर वह घटिया गुणवत्ता की होती है। जब पत्रकारों ने उनके इस बयान को बीजेपी की तारीफ के रूप में देखा तो उन्होंने साफ किया, अगर मुझे सरकार की कुछ योजनाएं पसंद हैं और कुछ नहीं, तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं पार्टी बदल रहा हूं। अगर मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किसी आधिकारिक काम के लिए मिलूं, तो इसका यह मतलब नहीं कि मैं BJP में जा रहा हूं।
इस्तीफा देने के पीछे बताई वजह
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि जयंत पाटिल ने एनसीपी (SP) के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह एमएलसी शशिकांत शिंदे को नियुक्त किया जा सकता है। इस पर पाटिल ने कहा, जो मीडिया संस्थान मेरे खिलाफ इस तरह की खबरें चला रहे हैं, वही कभी-कभी मेरे पक्ष में भी खबरें देते हैं। मैं उनके साथ कोई कटुता नहीं चाहता। अगर एक ऐसी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष, जिसके पास 10 विधायक हैं, इतना प्रचार पा रहा है, तो शायद मुझे उनका आभार मानना चाहिए।
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के बाद भी शरद पवार के साथ
गौरतलब है कि जयंत पाटिल एनसीपी के गठन से ही शरद पवार के साथ हैं। वह पार्टी के वफादार नेताओं में गिने जाते हैं। 2023 में जब अजित पवार ने बगावत कर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से हाथ मिलाया, तब भी जयंत पाटिल ने शरद पवार का साथ नहीं छोड़ा था। अब एनसीपी (SP) की मंगलवार को होने वाली आमसभा बैठक को लेकर अटकलें हैं कि पाटिल युवा नेतृत्व के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का ऐलान कर सकते हैं, जैसा उन्होंने 10 जून को पुणे में पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर संकेत दिया था।