बारिश से फसल बर्बाद (फोटो नवभारत)
Nashik News: देश की ‘प्याज की राजधानी’ कहे जाने वाले नाशिक जिले में शनिवार, 25 अक्टूबर की रात बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंताएं कई गुना बढ़ा दी हैं. शाम 7:30 बजे शुरू हुई यह बारिश रुक-रुक कर पूरी रात होती रही. बादलों की गरज, बिजली की कड़क और कई स्थानों पर तूफानी हवाओं ने मिलकर जिले की खेती को भारी नुकसान पहुँचाया है.
नाशिक जिला अपनी नकदी फसलों के लिए पूरे देश में जाना जाता है. नाशिक को प्याज का गढ़ माना जाता है, जहां से देश में प्याज के भाव तय होते हैं. निफाड, दिंडोरी जैसे तालुकों में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा, मक्का, सोयाबीन, धान (चावल), टमाटर और विभिन्न सब्जियां भी प्रमुखता से उगाई जाती हैं.
बेमौसम बारिश ने ऐसे समय में दस्तक दी है जब कई फसलें कटाई के लिए तैयार थीं या खेतों में पड़ी थीं, जिससे नुकसान बहुत बड़ा हुआ है.
प्याज (रबी और खरीफ): खेतों में रखी या रोपाई के लिए तैयार की गई प्याज की रोपाई पानी में डूब गई. तैयार प्याज की फसल अगर पानी में भीग जाए तो वह सड़ने लगती है, जिससे किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है.
खरीफ फसलें: मक्का, सोयाबीन और धान जैसी खरीफ फसलों को भीगने से गुणवत्ता खराब हुई है, और कुछ स्थानों पर पानी भरने से फसलें गलने लगी हैं.
अंगूर के बाग: अंगूर की बेलों पर इस समय जो नई कोंपलें या फल आ रहे थे, वे बारिश और हवाओं से टूट गए हैं, जिससे आगामी फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
लगातार हो रही इस मौसमी मार ने किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है. किसान अभी पिछली अतिवृष्टि (सितंबर 2025) से हुए नुकसान से उबर ही रहे थे और अब यह बेमौसम बारिश नई आफत लेकर आई है. किसानों का कहना है कि लगातार बारिश से हुए नुकसान के कारण वे कर्ज के बोझ में दबते जा रहे हैं. एक फसल का नुकसान सीधे तौर पर अगले बुवाई चक्र को प्रभावित करता है.
यह भी पढ़ें- लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का दूसरा दिन, महाराष्ट्र में उत्साह के साथ मनाया गया लोहंड़ा और खरना
परेशान किसानों ने अब एक बार फिर तत्काल पंचनामा (नुकसान का सर्वे) और उचित मुआवजा देने की मांग की है, ताकि उन्हें इस प्राकृतिक आपदा से उबारा जा सके और आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर रोक लग सके. बेमौसम बारिश ने नाशिक जिले के किसानों के लिए इस बार का मौसम ‘अच्छे दिन’ नहीं, बल्कि आफत का साल बना दिया है.