शिवभोजन थाली (pic credit; social media)
Shiv Bhojan Yojana: महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में 26 जनवरी 2020 को शुरू की गई शिवभोजन योजना अब गंभीर आर्थिक संकट में फंस गई है। इस योजना के तहत जरूरतमंदों को महज 10 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। वर्तमान में केंद्र संचालकों को भुगतान करने के लिए 8 करोड़ 40 लाख रुपये की भारी राशि की आवश्यकता है, जबकि सरकार ने मात्र 1 करोड़ 52 लाख रुपये ही जारी किए हैं।
शहरी केंद्रों पर प्रतिदिन 9,175 और ग्रामीण क्षेत्रों में 5,825 थालियां परोसी जाती हैं। प्रत्येक शहरी थाली पर 50 रुपये और ग्रामीण थाली पर 35 रुपये का सरकारी अनुदान मिलता है। संचालक पिछले छह महीनों से भुगतान नहीं मिलने के बावजूद, मानवता के आधार पर उधार लेकर थाली परोस रहे हैं।
शिवभोजन थाली में 2 रोटी, 1 सब्जी, 1 कटोरी चावल और 1 कटोरी वरण या आमटी शामिल होती है। यह योजना गरीब, मजदूर, विद्यार्थी और बुजुर्गों के लिए वरदान साबित हुई है। हालांकि, भुगतान में देरी और अपर्याप्त राशि के कारण योजना पर संकट बढ़ गया है। विभाग भी इस तंगी को लेकर उलझन में है।
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जानकारों का कहना है कि सरकारी खजाने पर ‘लाडकी बहिण योजना’ और अन्य सामाजिक योजनाओं का खर्च बढ़ रहा है, जिससे शिवभोजन योजना पर भी असर पड़ रहा है। पिछले साल आनंदाचा शिधा योजना पहले ही बंद हो चुकी है। सरकार ने हाल ही में जो राशि जारी की है, वह बकाए से लगभग 7 करोड़ रुपये कम है, जिससे संचालकों की दिक्कत और बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नियमित निधि नहीं मिली, तो योजना बंद होने का खतरा है। इसके अलावा, इस अस्थिर स्थिति का असर हजारों जरूरतमंदों पर पड़ेगा, जो प्रतिदिन भरपेट भोजन के लिए इस योजना पर निर्भर हैं।
विभाग ने संकेत दिया है कि बकाया राशि जल्द जारी करने की कोशिश की जाएगी, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरें अब सरकार की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं।