नासिक तेंदुआ सफारी (pic credit; social media)
Nashik Leopard Safari: नासिक में हाल के वर्षों में बढ़ते तेंदुआ-मानव संघर्ष ने जन सुरक्षा को गंभीर चुनौती बना दिया है। स्थानीय लोगों और किसानों की जान-माल पर खतरा लगातार बढ़ रहा है। इस पर ध्यान देते हुए सांसद राजाभाऊ वाजे ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर नाशिक में ‘तेंदुआ सफारी और संरक्षण परियोजना’ की मंजूरी देने का आग्रह किया है।
पत्र में राजाभाऊ वाजे ने बताया कि पिछले पांच वर्षों (2021-2025) में तेंदुओं के हमलों में 35 से अधिक नागरिकों की मौत हुई और 62 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके साथ ही पशुधन और कृषि को भी भारी नुकसान हुआ है। इस दौरान आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 6.10 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया गया है। हाल ही में वडनेर गेट क्षेत्र में दो साल के बच्चे की मौत से जनता में भारी आक्रोश फैल गया था।
सांसद ने पत्र में कहा कि यह केवल वन्यजीव प्रबंधन का मुद्दा नहीं है, बल्कि मानव सुरक्षा, पारिस्थितिक संतुलन और सामाजिक समरसता का भी सवाल है। उन्होंने केंद्र को तथ्यों से अवगत कराते हुए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजना दोनों लागू करने की आवश्यकता बताई है।
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वडनेर गेट, पिपलगांव और देवलीगांव के नागरिक कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने वन विभाग की देरी और प्रतिक्रिया टीमों की नाकाफी कार्यवाही पर नाराजगी जताई। अप्रैल से जून 2025 के बीच वानरवाड़ी क्षेत्र में तीन तेंदुए पकड़े गए, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
राजाभाऊ वाजे ने पत्र में आगे कहा कि जुन्नार में तेंदुआ सफारी परियोजना, सतारा में माणिकदोह बचाव केंद्र और राजस्थान में जयपुर तेंदुआ रिजर्व सफल उदाहरण हैं। यदि नाशिक में भी ऐसी परियोजना स्थापित की जाती है, तो यह न केवल पर्यावरण शिक्षा और पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय रोजगार सृजन और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा।
सांसद का कहना है कि केंद्र सरकार से शीघ्र कदम उठाने की उम्मीद है ताकि तेंदुआ-मानव संघर्ष को नियंत्रित किया जा सके और नाशिक के नागरिक सुरक्षित रह सकें।