नासिक महानगरपालिका चुनाव (pic credit; social media)
Nashik Tree Cutting News In Hindi: नासिक के तपोवन स्थित वृक्षवन में आज आयोजित कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि वृक्ष बचेंगे तो मनुष्य बचेगा। रविवार को आयोजित इस सभा में महाराष्ट्र के कई प्रख्यात कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सम्मेलन की शुरुआत में नासिक से आए वरिष्ठ पत्रकार निरंजन टकले ने तपोवन के अंदर पेड़ों की कटाई पर अपनी स्थिति स्पष्ट की, जबकि बारामती, पुणे से आए राजन खान ने वृक्ष संरक्षण के महत्व को समझाया और अपने ओजस्वी भाषण में पेड़ों के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर नाराजगी भी व्यक्त की।
महाराष्ट्र के दूर दराज से साहित्यकारों ने लिया हिस्सा
कार्यक्रम में इगतपुरी से आए रणकवि तुकाराम धांडे की कविता ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। उनकी कविता “सारे विज्ञान का सृजन मनुष्य ने जमीन पर अपने पैर रखकर किया है।”
यदि वह विज्ञान भ्रष्ट हो जाए तो मरम्मत नए सिरे से की जा सकती है। “लेकिन यदि भूगोल ही नष्ट हो जाए तो कोई मनुष्य नहीं बचेगा। सभा में मराठवाड़ा, विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र और उत्तर महाराष्ट्र के लेखकों ने भाग लिया। बैठक का आयोजन नांदेड़ के वरिष्ठ लेखक श्रीकांत देशमुख, पुणे के कवि मंगेश मौजूद थे।
नासिक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए जगह बनाने के लिए तपोवन में पेड़ काटेगी, इसलिए नासिक में अलग-अलग संगठन और राजनीतिक पार्टियां पेड़ों को बचाने के लिए एक साथ आ गई हैं।
रविवार सुबह से ही फॉरेस्ट फूड फेस्टिवल शुरू हो गया है, जहां दादियां बच्चों को कहानियां सुना रही हैं, शतरंज के खेल हो रहे हैं, और पेड़ों पर कई अच्छे विचार लिखे जा रहे हैं। मुख्य भाजे, वृक्षवल्ली, हम, शाम और धार्मिक प्रोग्राम, गाने और ऑर्केस्ट्रा से प्रोटेस्ट टूर करके मजा ले रहे हैं।
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इन लेखकों में वरिष्ठ लेखक उत्तम कोलगांवकर, जलगांव के अशोक कोटवाल और दा शामिल रहे, संदीप जगताप, लक्ष्मण महाडिक, तुकाराम धांडे, जयश्री वाघ, संदेश भंडारे, प्रतिभा खैरनार, राजेंद्र उगले, अरुण इंगले, प्रशांत केंडेले, भास्करराव ढोके, ज्ञानोबा ढगे, ज्ञानोबा ढगे, स्त्यजीत पाटिल, सुदाम राठौड़, राजू देसले, अरुण इंगले, पीयूष नासिक कर, ऐश्वर्या पाटेकर, संदीप देशपांडे, देवीदास चौधरी, रवि कोर्डे (संभाजीनगर), अन्ना जगताप (हिंगोली), रवि कोर्डे, श्रीधर नांदेड़कर, (संभाजीनगर), रवींद्र इंगले चावरेकर, श्रीकांत ढेरिंगे, अरुण गवली, गिरीश पाटिल, दिलीप पाटिल (पुणे), किरण सोनार, विलास शेलके और अन्य प्रतिष्ठित लेखक इस अवसर पर पेड़ों को बचाने के लिए नासिक के तपोवन में एकत्र हुए।