प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Nashik Municipal Corporation Elections News: नाशिक की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। शिवसेना (ठाकरे गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच गठबंधन की आधिकारिक घोषणा से पहले ही जमीनी स्तर पर तालमेल शुरू हो गया है।
बुधवार को मनसे कार्यालय में दोनों दलों के प्रमुख नेताओं की पहली औपचारिक बैठक हुई, जिसमें आगामी महानगरपालिका चुनाव के लिए सीट बंटवारे और चुनावी रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में दोनों दलों ने स्पष्ट किया कि सीटों की संख्या को लेकर खींचतान करने के बजाय ‘जीतने की संभावना’ को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्राथमिक चर्चा में यह सहमति बनी कि जो उम्मीदवार क्षेत्र में मजबूत है और चुनाव जीत सकता है, उसे ही गठबंधन का प्रत्याशी बनाया जाएगा। प्रदेश महासचिव दिनकर अण्णा पाटिल ने जानकारी दी कि उनकी गठबंधन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।
साथ ही, महाविकास अघाड़ी के अन्य घटक दलों के साथ भी बातचीत का रास्ता खुला रखा गया है। मुंबई में सांसद संजय राउत द्वारा गठबंधन के संकेतों के बाद नाशिक की इस बैठक में दोनों पक्षों के कद्दावर नेता मौजूद रहे।
ठाकरे गुट की ओर से पूर्व विधायक वसंत गीते, दत्ता गायकवाड और डी. जी. सूर्यवंशी उपस्थित थे, जबकि मनसे की ओर से दिनकर अण्णा पाटिल, सलीम मामा शेख, रतनकुमार इचम और शहर अध्यक्ष सुदाम कोंबड़े ने चर्चा में भाग लिया, यह बैठक उसी दिन हुई जब मनसे ने इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन पत्रों का वितरण शुरू किया।
चुनाव की घोषणा के बाद दोनों दलों की इस एकजुटता ने कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है। राज्य स्तर पर भी जल्द ही इस गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होने के संकेत मिल रहे हैं। यदि ठाकरे की ‘शिवसेना’ और राज ठाकरे की ‘मनसे’ का वोट बैंक एक साथ आता है, तो यह विरोधियों के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकता है।
दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई जैसा है। साल 2017 के चुनाव में शिवसेना के 35 नगरसेवक निर्वाचित हुए थे, लेकिन विभाजन के बाद इनमें से अधिकांश शिंदे गुट और भाजपा में चले गए है।
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वर्तमान में ठाकरे गुट के पास केवल पांच से छह नगरसेवक ही बचे है। वहीं मनसे के भी पांच नगरसेवक निर्वाचित हुए थे, जिनमें से कुछ ने दल बदल लिया है। ऐसे में दोनों ही दलों के सामने संगठन को फिर से खड़ा करने की बड़ी चुनौती है।