प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Nashik Municipal Election: नासिक महानगरपालिका चुनाव की रणभेरी बजते ही नासिक की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है। महायुति और महाविकास अघाड़ी, दोनों ही बड़े गठबंधनों में दरार पड़ गई है।
भाजपा ने सभी 122 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का मन बना लिया है, जबकि उसके सहयोगी दल शिवसेना (शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजीत पवार गुट) ने भाजपा से अलग होकर आपस में गठबंधन कर लिया है।
दूसरी ओर, विपक्षी खेमे में शिवसेना (ठाकरे गुट) और मनसे ने कांग्रेस व शरद पवार गुट के साथ मिलकर नया मोर्चा तैयार किया है।
पिछले कई दिनों से मंत्री गिरीश महाजन महायुति के रूप में चुनाव लड़ने का दावा कर रहे थे, लेकिन सीटों के गणित ने खेल बिगाड़ दिया। इच्छुकों की भारी भीड़ः भाजपा के पास 1000 से अधिक उम्मीदवारों के आवेदन आए थे, जिससे सहयोगियों को सीटें देना मुश्किल हो गया।
भाजपा ने मित्र दलों को केवल चर्चा के लिए बुलाया, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। इससे नाराज होकर शिंदे और अजीत पवार गुट ने सोमवार को अपनी अलग राह चुन ली।
विरोधी खेमे में भी नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। ठाकरे गुट मनसेः शिवसेना (ठाकरे गुट) और मनसे ने एक साथ आने का बड़ा फैसला लिया।
महाविकास अघाड़ी का विस्तारः बाद में इस गठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) भी शामिल हो गए। सीटों को लेकर यह गठबंधन एक बार टूट गया था, लेकिन दो दिनों की मैराथन बैठकों के बाद इसे फिर से पटरी पर लाया गया है।
अब नासिक मनपा चुनाव में मुख्य रूप से तीन ध्रुव बन गए हैं, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।
भाजपा, अकेले, “122 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी (पिछली बार 66 सीटें जीती थी, अब संख्या 84 है) नया गठबंधन, शिवसेना (शिंदे) राकांपा (अजीत पवार), शिंदे गुट के पास फिलहाल 28 नगरसेवक है। महाविकास अघाड़ी, शिवसेना (ठाकरे) + मनसे + कांग्रेस + राकांपा (शरद पवार), विपक्षी एकजुटता से भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश।
नामांकन के आखिरी दौर में सभी दलों को अपनों की बगावत का डर सता रहा है। भाजपा के अकेले लड़ने के फैसले से जहां पार्टी के वफादार खुश है, वहीं शिंदे और अजीत पवार गुट का साथ आना भाजपा के लिए वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा पैदा कर सकता है।
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देखने को मिला। ठाकरे गुट मनसेः शिवसेना (ठाकरे गुट) और मनसे ने एक साथ आने का बड़ा फैसला लिया। महाविकास अघाड़ी का विस्तारः बाद में इस गठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) भी शामिल हो गए। सीटों को लेकर यह गठबंधन एक बार टूट गया था, लेकिन दो दिनों की मैराथन बैठकों के बाद इसे फिर से पटरी पर लाया गया है।