प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Nashik Municipal Election Hindi News: नासिक मनपा के आगामी चुनावों ने शहर की राजनीति में हलचल तेज कर दी है। 3.5 वर्षों से अधिक समय से जारी प्रशासकीय शासन अब समाप्त होने जा रहा है।
आगामी 15 जनवरी को होने वाले मतदान के माध्यम से शहर को नए जनप्रतिनिधि मिलेंगे। 31 वाडौं (प्रभागों) की 122 सीटों के लिए 13 लाख 54 हजार मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसके परिणाम 16 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास 7 नवंबर 1982 को स्थापित नासिक मनपा की शुरुआत मात्र 50 पार्षदों के साथ हुई थी। शहर के विस्तार, औद्योगिक विकास और सिंहस्थ कुंभ मेले के भव्य आयोजन के कारण एक स्वतंत्र निकाय की आवश्यकता महसूस हुई। आज नासिक रोड, पंचवटी, सिडको, सातपुर और देवलाली जैसे क्षेत्रों के समावेश के साथ पार्षदों की संख्या 122 तक पहुंच गई है।
कांग्रेस का प्रभाव (1980-90): शुरुआती दौर में शहर के मध्यम वर्गीय और व्यापारी वर्ग पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ थी शिवसेना का उदयः 1990 के बाद मराठी अस्मिता और स्थानीय मुद्दों के दम पर शिवसेना ने सत्ता में कई बार जगह बनाई मनसे की भूमिका: राज ठाकरे के नेतृत्व में 2012 में मनसे ने 40 पार्षदों के साथ बड़ी जीत दर्ज की थी, हालांकि 2017 में यह संख्या घटकर 5 पर आ गई।
भाजपा का वर्चस्वः 2017 के चुनाव में भाजपा ने इतिहास रचते हुए 122 में से 66 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया था। सतीश कुलकर्णी नासिक के अंतिम महापौर रहे, जिसके बाद 13 मार्च 2022 से प्रशासकीय राज लागू हो गया। चुनाव प्रक्रिया और आरक्षण इस बार भी 2017 की तरह ‘4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति को बरकरार रखा गया है।
कुल 31 प्रभागों में से 29 प्रभाग 4 सदस्यीय होंगे, जबकि 2 प्रभाग तीन सदस्यीय होंगे, राज्य चुनाव आयोग के नियमानुसार 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं, जिसका अर्थ है कि कुल 122 में से 61 सीटों पर महिला उम्मीदवार चुनी जाएंगी।
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बदलते राजनीतिक समीकरण शिवसेना में फूट के बाद उद्धव ठाकरे गुट के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन गया है, क्योंकि उनके अधिकांश पूर्व पार्षद भाजपा या शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। वर्तमान में उद्धव गुट और मनसे के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है। दूसरी ओर, भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच गठबंधन की प्रबल संभावना है।