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नासिक: शहर में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा दिखाई देता है। कहीं-कहीं तो इमारतों का मलबा (Debris) भी पड़ा हुआ रहता है। इन सबका निस्तारण करने के लिए पिछले 7 वर्ष से प्रलंबित परियोजना (Project) को शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। पाथर्डी में प्रस्तावित खाद परियोजना के लिए आरक्षित जगह के बगल में इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के लिए नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) ने ठेकेदार (Contractor) को काम शुरू करने के आदेश भी दे दिए हैं। बताया जा रहा है कि इस परियोजना को संचालित करने का 20 वर्ष का ठेका एक कंपनी को दिया गया है। नासिक महानगरपालिका (NMC) की हद में वर्तमान में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से जुड़ी परियोजनाओं का काम चल रहा है। नई परियोजनाओं के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्विकास की कुछ योजनाएं भी हाथ में ली गई हैं। इसी तरह पुनर्विकास पर आधारित परियोजनाओं से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य का मलबा निकलता है।
विकास परियोजनाएं और निर्माण कार्य परियोजनाओं से फैलने वाली गंदगी का निस्तारण करने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए निर्माण सामग्री का कचरा कहीं भी डंप कर दिया जाता है। खासतौर पर खुले प्लॉट, नदी के किनारे कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में एकत्र होने वाली बेकार सामग्रियों के ढेर लगे नजर आते हैं। स्वच्छ भारत अभियान प्रतियोगिता में अपशिष्ट निर्माण सामग्री के निपटान के मुद्दे को ध्यान में रखा गया था। इसके तहत प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोगों को अंक भी दिए गए।
पिछले वर्ष इसी वजह से नासिक महानगरपालिका की रैंक गिरी थी। अपेक्षित अंक न आने से टॉप-10 शहरों में आने का नासिक महानगरपालिका का सपना चकनाचूर हो गया था। केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने परियोजना स्थापित करने के लिए महानगरपालिका प्रशासन को निर्देश दिए थे। इसके मुताबिक 2020-21 में टेंडर जारी किया गया था। पाथर्डी क्षेत्र में उर्वरक संयंत्र के सामने सर्वे संख्या 279/1/2 में परियोजना के लिए एक साइट की पहचान की गई थी। जमीन का अधिग्रहण न होने पर विकल्प के तौर पर मखमलाबाद क्षेत्र के सर्वे नंबर 323/2/3 में 21800 वर्गमीटर जमीन इस परियोजना के लिए दी गई है।
बताया जा रहा है कि इस परियोजना तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं थी, इसलिए इसके निर्माण कार्य पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा था। पाथर्डी क्षेत्र में उर्वरक संयंत्र के समीप सर्वे संख्या 262 में बूचड़खाने के लिए आरक्षित भूमि पर परियोजना स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए बूचड़खाने के आरक्षण को रद्द कर निर्माण सामग्री नियंत्रण परियोजना के आरक्षण में बदलाव किया गया। आरक्षण परिवर्तन के बाद वॉटरग्रेस कंपनी को ठेके पर काम करने के आदेश दिए गए हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों से निर्माण कचरे को उठाना है। वर्तमान में इसकी कीमत 800 से 900 रुपए प्रति टन है। कंपनी के नुकसान को कवर करने के लिए महानगरपालिका 205 रुपए प्रति टन का भुगतान करेगी।
[blockquote content=”निर्माण सामग्री निपटान परियोजना को 4 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। एक बार परियोजना पूरी हो जाने के बाद शहर में हर जगह निर्माण कचरे के ढेर बहुत कम हो जाएंगे। ” pic=”” name=”-उदय धर्माधिकारी, अधीक्षण अभियंता, नासिक महानगरपालिका”]






