नारायण राणे, उद्धव राज ठाकरे (pic credit; social media)
मुंबई: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के गठबंधन पर बहोत जल्द मुहर लगने वाली है। दोनों ठाकरे बंधुओं के साथ आने की चर्चा पर बीजेपी में बेचैनी है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि दो भाई साथ में आ रहे हैं तो बीजेपी को तकलीफ क्यों हो रही है। इस पर जब मीडिया ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से सवाल किया तो नारायण राणे ने जवाब में कहा कि हम लोगों को तकलीफ कुछ नहीं है। दो भाई नहीं, सब और भाई को साथ में ले आएं। हम लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पहले तो साथ ही थे। बीजेपी, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ये तीनों पार्टी के पास आज 235 विधायक हैं। कोई चिंता नहीं है।
राज ठाकरे का ये निजी फैसला है
नारायण राणे ने आगे कहा, ये राज ठाकरे का सवाल है। उन्हें शिवसेना के साथ जाना है या नहीं। साथ जाना सही है या नहीं, ये पहचानना उनकी जिम्मेदारी है, हमारी थोड़ी है।
उद्धव ठाकरे की कोई ताकत नहीं
मराठी भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, राजनीति के लिए कुछ तो वजह चाहिए। उनको कुछ मिलता नहीं है। किसान हों या कामगार हों, महाराष्ट्र की जनता का वो प्रश्न उठा नहीं सकते। उनकी ताकत नहीं है। मुख्यमंत्री थे तब भी कुछ किया नहीं। ढाई साल में दो दिन मंत्रालय आए। उनका काम कुछ भी नहीं था और आज भी नहीं है। आज भी दूसरे लोग मराठी का मुद्दा उठा रहे हैं ये उसमें श्रेय लेने के लिए ज्वाइन होना चाहते हैं। श्रेय इनको मिलने वाला नहीं है।
मराठी युवाओं के लिए उद्धव ठाकरे ने क्या किया?
नारायण राणे ने आगे कहा, “उद्धव ठाकरे मराठी-मराठी क्यों करते हैं? उनसे पूछा जाए कि उन्होंने कितने मराठी युवाओं को नौकरी दी है। क्या कोई पॉलिसी लेकर आए, नहीं। सोनिया गांधी और शरद पवार के साथ चले गए। तब उनको मराठी की याद नहीं आई। उद्धव ठाकरे कभी भी एक जगह खड़े नहीं रहते।