WCL के अध्यक्ष जेपी द्विवेदी (सोर्स: सोशल मीडिया)
WCL Chairman JP Dwivedi News: कोयला उत्पादन के स्तर को बढ़ाने के लिए वेस्टर्न कोल फील्ड्स लि. (WCL) कई बिंदुओं पर काम कर रहा है। WCL के लिए एक अच्छी बात यह है कि ओडिशा में स्थित एक ‘मेगा माइन’ मिल सकती है। वेकोलि ने इसकी डिमांड कोल इंडिया लि. (CIL) से की थी। इस मांग पर सीआईएल ने अपनी रजामंदी दे दी है।
वेस्टर्न कोल फील्ड्स लि. (वेकोलि) के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक जेपी द्विवेदी नेब बताया कि यह ब्लाॅक महानदी के क्षेत्र में है जबकि अधिकारी सीआईएल का है। इस मेगा माइन के मिलने से वेकोलि का उत्पादन 15 से 20 मिलियन टन बढ़ सकता है।
‘नवभारत’ से चर्चा करते हुए जेपी द्विवेदी ने कहा कि यह माइन वेकोलि के लिए मील का पत्थर साबित होगी। बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है और अच्छी बात यह है कि वेकोलि के प्रस्ताव से सीआईएल सहमत है। अंतिम मुहर लगने में कुछ समय जरूर लग सकता है।
प्रबंध निदेशक जेपी द्विवेदी ने बताया कि इसी प्रकार वेकोलि ने अंडरग्राउंड की हिस्सेदारी उत्पादन में बढ़ाने के लिए भी प्लानिंग की है। अब तक माइन्स में ब्लॉस्टिंग का सहारा लिया जाता था लेकिन अब यह तय किया गया है कि मशीनों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाएगा।
ब्लॉस्टिंग की जगह कटिंग तकनीक को अपनाया जाएगा। इसके लिए कई कंपनियों से करार भी किया गया है। कंपनियां निवेश करेंगी, मशीनें लगाएंगी और उत्पादकता के आधार पर वेकोलि उन्हें भुगतान करेगी।
उन्होंने बताया कि वेकोलि फस्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। इसके तैयार होते ही ट्रक से कोयला परिवहन को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा और रेलवे से ही कोयले की ढुलाई होगी। इससे लागत बचाने, चोरी रोकने और खदान क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त रखने में बढ़ी कामयाबी मिलेगी।
वणी, उमरेड में चालू हो चुकी है और जल्द ही सास्ती में साइडिंग बनेगा। इससे सीधे माइंस से कोयला गंतव्य कंपनी तक पहुंचेगा। लगभग 28 मिलियन टन कोयला इस पद्धति से भेजने में सफल होंगे।
द्विवेदी ने बताया कि वेकोलि क्षेत्र में काफी समय से कोल गैसीफिकेशन संयंत्र लगाने पर विचार किया जा रहा है। 2 बार टेंडर भी निकाले गए लेकिन निजी कंपनियों ने रुचि नहीं दिखाई।
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इसके बाद कोल इंडिया लिमिटेड ने तय किया है कि इस प्रोजेक्ट पर वह खुद निवेश करेगा और वेकोलि इसका संचालन करेगी। नए सिरे से इस प्रोजेक्ट का डीपीआर बनाया जा रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही इस प्रोजेक्ट को जमीन पर लाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि यह सही है कि देश में सोलर क्रांति देखने को मिल रही है लेकिन कोयला उद्योग से इसे अगले 10-15 वर्षों तक कोई चैलेंज नहीं है क्योंकि बिजली की डिमांड भी उसी तेजी से बढ़ रही है। इसलिए भविष्य में भी कोयले पर निर्भरता कायम रहेगी।
महाजेनको द्वारा कोयला खदान लिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन कंपनियां पहले भी कोयला कंपनियों पर निर्भर थीं और आगे भी रहेंगी। इसलिए वेकोलि को यह नहीं लगता कि भविष्य में डिमांड में कोई कमी आएगी बल्कि हमने उत्पादन को कई गुना बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। यह भी सही है कि वेकोलि अगले 4-5 वर्षों में सोलर के जरिए 350 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन करेगी।