वाड़ी में वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ (सौजन्य-नवभारत)
Maharashtra Local Body Elections: नागपुर जिले के वाड़ी क्षेत्र में वाड़ी नगर परिषद चुनाव 2025 के तहत राज्य शासन और चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार गुरुवार को नगर परिषद के 13 प्रभागों की घोषणा एक विशेष कार्यक्रम में की गई। लेकिन प्रभागों की घोषणा के तुरंत बाद वाड़ी के राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, जब नेताओं को मतदाता सूची में बड़े स्तर पर त्रुटियां नजर आईं।
प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (दोनों गुट), शिवसेना (उबाठा), वंचित आघाड़ी, भीमसेना आदि के पदाधिकारियों ने जब मतदाता सूचियों का निरीक्षण किया, तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि 30 से 40 प्रतिशत मतदाता अपने मूल वार्ड की सूची में नहीं, बल्कि किसी अन्य प्रभाग में दर्ज हैं। इससे निष्पक्ष चुनाव की संभावना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
नेताओं का कहना है कि, ऐसी दोषपूर्ण सूची से चुनाव कराना न सिर्फ अनुचित है बल्कि इससे हजारों मतदाता अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 13 अक्टूबर तय की है। लेकिन यह आपत्ति एक विशेष प्रारूप में देना अनिवार्य है। राजनीतिक नेताओं का कहना है कि, इतने कम समय में, इतनी बड़ी सूची की त्रुटियां सुधारना असंभव है।
प्रारूप इतना जटिल है कि आम आदमी या प्रतिनिधि के लिए आपत्ति दर्ज कर पाना बेहद कठिन है। शुक्रवार को वाड़ी नप की मुख्याधिकारी डॉ. ऋचा धाबर्डे से एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर इस संबंध में संयुक्त ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के अनुसार मुख्य मांगें मतदाता सूची सुधारने की अंतिम तिथि आगे बढ़ाई जाए, आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए, मतदाता सूची का पुनः मूल्यांकन किया जाए, वोट चोरी और गलत प्रविष्टियों की जांच की जाए।
यह भी पढ़ें – OBC की गर्दन पर चलाई तलवार, विराट मोर्चा में वडेट्टीवार ने सरकार पर किया वार, जरांगे भी निशाने पर
नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन या आयोग ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया और कोई उचित कदम नहीं उठाया, तो वे इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होंगे। मुख्याधिकारी डॉ. ऋचा धाबर्डे ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वे इस विषय को जिला प्रशासन के माध्यम से चुनाव आयोग तक पहुंचाएंगी। उन्होंने इस गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई का भरोसा भी दिया।
इस अवसर पर प्रेम झाडे, प्रकाश कोकाटे, शैलेश थोराने, हर्षल काकडे, राजेश जयस्वाल, भीमराव लोखंडे, संतोष नरवाडे, प्रो। सुरेंद्र मोरे, श्याम मंडपे, संतोष केचे, रुपेश झाडे, अखिल पोहनकर, आशिष इखनकर, नितेश जंगले, रोशन सोमकुवर, अमित हुसनापुरे, संजय जीवनकर, किशोर ढगे, निखिल कोकाटे, दिनेश उईके, नंदू सोमकुवर आदि नेता इस बैठक में उपस्थित थे।
इस गड़बड़ी की जानकारी जैसे ही आम नागरिकों को हुई, उन्होंने भी प्रशासन और चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी जताई। नागरिकों का कहना था कि, अपने वार्ड में मतदान करना हमारा मौलिक अधिकार है। ऐसी सूची से हमें अपने अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
अब देखना यह है कि क्या चुनाव आयोग और जिला प्रशासन इस मामले पर त्वरित, निष्पक्ष और न्यायसंगत कार्रवाई करते हैं या फिर वाड़ी के नेताओं को न्याय की तलाश में अदालत का रुख करना पड़ता है।