नागपुर मं विरोध प्रदर्शन करते विदर्भ आंदोलन समिति के सदस्य (फोटाे नवभारत)
Forest Department Headquarter Shifting Controversy: नागपुर स्थित वन विभाग के मुख्य कार्यालय को मुंबई स्थानांतरित करने के प्रस्ताव का विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने तीव्र निषेध किया है। समिति का कहना है कि नागपुर करार के अनुसार यह कार्यालय यहीं होना चाहिए और अन्य संचालनालय भी नागपुर लाया जाना चाहिए। विदर्भ की जनता और वन विभाग ने वर्षों से विदर्भ में जंगलों का संरक्षण और संवर्धन किया है। ऐसे में वन विभाग के कार्यालयों को विदर्भ से बाहर ले जाना विदर्भ की जनता पर घोर अन्याय है।
अध्यक्ष अरुण केदार के नेतृत्व में वैरायटी चौक पर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य वन संरक्षक कार्यालय उपराजधानी से हटाए जाने का अर्थ है कि उपराजधानी का दर्जा समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
अभी कार्यालय नागपुर में होने के कारण अवैध कटाई पर नियंत्रण रखना आसान है लेकिन कार्यालय मुंबई ले जाए जाने पर विदर्भ के जंगलों में अवैध कटाई बढ़ेगी, वन संसाधनों से होने वाली आय प्रभावित होगी। विदर्भ के अधिकारी-कर्मचारियों को मुंबई स्थानांतरित होना पड़ेगा।
आंदोलनकारियों ने कहा कि विदर्भ को लंबे समय से लूटने का ही काम किया गया है। अगर कुछ दे नहीं सकते तो छीनो भी मत। केदार ने कहा कि विदर्भ की जनता पर जानबूझकर अन्याय किया जा रहा है। समय आने पर हम जेल जाने को भी तैयार हैं लेकिन विदर्भ का वन विभाग का मुख्यालय नागपुर से कहीं नहीं जाने देंगे। विदर्भ को अन्याय से मुक्त करने का केवल एक ही रास्ता है स्वतंत्र विदर्भ राज्य का निर्माण करना।
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आंदोलन में मुकेश मासुरकर, तात्यासाहब मत्ते, सुनील चोखारे, प्रशांत नखाते, नरेश निमजे, प्रमोद पांडे, अण्णाजी राजेधर, गुलाबराव धांडे, ज्योति खांडेकर, गिरीश तितरमारे, गणेश शर्मा, राजेंद्र सतई, निलिमा सेलुकर, बबीता नखाते, भोजराज सरोड़े, अनिल केशरवानी, माधुरी चौहान, रत्नाकर जगताप, रजनी शुक्ला, विनीता भोयर, किरण बनारसे, नौशाद हुसैन सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।