नागपुर. यूक्रेन-रूस जंग ने अब आम लोगों की जेबें ढीली करनी शुरू कर दी है. युद्ध का असर खाद्य तेलों पर ऐसा पड़ा कि वे फिर कोरोना के बाद रिकॉर्ड बनाने में तुल गये हैं. पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी सोयाबीन और फल्ली तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. यूक्रेन संकट के कारण फल्ली, पामोलिन और सोयाबीन तेल सहित अन्य में एक दिन में 150 रुपये टिन की वृद्धि हुई.
इसका सबसे प्रमुख कारण सनफ्लावर तेल है जिसके सबसे बड़े निर्यातक यूक्रेन और रूस हैं. अभी युद्ध के चलते दोनों देशों ने सनफ्लावर तेल के शिपमेंट को रोक दिया है. इससे सनफ्लावर तेल में उछाल आया जिसका असर सभी तेलों में देखा जा रहा है.
3 दिन पहले सोयाबीन और फल्ली तेल एक ही रेंज में आकर 158 रुपये प्रति किलो चल रहे थे जिसमें अभी सोयाबीन तेल 6 रुपये प्रति किलो महंगा होकर 164 रुपये और फल्ली तेल 10 रुपये प्रति किलो महंगा होकर 168 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया. वहीं 150 रुपये लीटर चल रहा सनफ्लावर तेल 20 रुपये लीटर महंगा होकर 170 रुपये पर पहुंच गया.
तेल व्यापारियों के अनुसार पिछले 1 माह में तेल में 350 रुपये प्रति टिन की तेजी आई. 1 माह पहले सोयाबीन तेल की कीमत 2200 रुपये टिन की रेंज में चल रही थी जो 2480 से 2500 रुपये प्रति टिन पर पहुंच गई है. वहीं पॉमोलिन 2100 रुपये के आसपास चल रहा था जो 2370 रुपये प्रति टिन पर आ गया है. इसमें फल्ली तेल भी 2200 से 2250 रुपये की रेंज में आया था जो अब 2530 से 2550 रुपये प्रति टिन पर पहुंच गया है. इनके साथ-साथ राइस तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई.
तेलों की महंगाई ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. मार्च में त्योहारों की शुरुआत होगी. यदि तेलों के भाव इसी तरह ऊंचे रहे तो लोगों को त्योहार में महंगाई का सामना करना पड़ेगा. वहीं पामोलिन तेल के बढ़ते भाव के कारण होटल वालों की भी चिंता बढ़ती जा रही है.
तेल पहले अब
सोयाबीन 158 164
पामोलिन 150 158
फल्ली 158 168
सनफ्लावर 155 170