शालार्थ आईडी स्कैम (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Revision Petition Dismissed: अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश पीवी बुलबुले ने मंगलवार को सरकार द्वारा दायर 2 पुनरीक्षण याचिकाओं को खारिज कर दिया। ये याचिकाएं फर्जी नियुक्तियों और 580 शालार्थ आईडी तैयार करने के कथित घोटाले के 2 मुख्य आरोपियों नानाजी पुड़के और सुमेध वाकडे को मजिस्ट्रेट द्वारा दी गई जमानत तथा पुलिस कस्टडी रिमांड अस्वीकृति के विरुद्ध दायर की गई थीं।
नानाजी पुड़के पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे पराग पुड़के को फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर गैर कानूनी तरीके से हेडमास्टर नियुक्त करवाया। इससे सरकारी खजाने को नुकसान और निजी लाभ उठाने की बात सामने आई। वहीं गोंदिया की वेतन इकाई में क्लर्क सुमेध वाकडे पर आरोप है कि उन्होंने भावना राऊत को नकली नियुक्ति आदेश प्राप्त करवाकर शालार्थ आईडी तैयार करवाई जिसके बदले उन्होंने 5 लाख रुपये रिश्वत ली।
फर्जी नियुक्ति के आधार पर राऊत ने लंबी अवधि तक वेतन निकाला जिससे सरकार को कई करोड़ों का नुकसान हुआ। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को जेएमएफसी की अदालत में पेश किया गया था और पुलिस ने पीसीआर की मांग की थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता कमल सतूजा और कैलाश डोडानी के तर्कों के आधार पर मजिस्ट्रेट ने पीसीआर अस्वीकृत करते हुए दोनों को जमानत दे दी थी।
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इस पर सरकार की ओर से जिला सरकारी वकील नितिन तेलगोटे ने कहा कि दोनों आरोपी घोटाले के सरगना हैं और पीसीआर के बिना कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने नहीं आएंगी जिससे जांच प्रभावित होगी। बचाव पक्ष ने दलील दी कि कानून के अनुसार पीसीआर अस्वीकृति के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण 30 दिनों में ही किया जा सकता है, जबकि यहां 4-5 महीने बाद याचिका दाखिल की गई, इसलिए यह अनुचित व अमान्य है।
दोनों आरोपी जांच में सहयोग कर रहे हैं और नियमित उपस्थित हो रहे हैं। दोनों पक्षों की दलीलों पर सुनवाई के बाद न्यायालय कहा कि निचली अदालत का आदेश सही व कानून सम्मत है, इसलिए सरकार की दोनों पुनरीक्षण याचिकाएं खारिज की जाती हैं।