नागपुर यूनिवर्सिटी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
RTMNU Audit Issue: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी में बुक्स ऑफ अकाउंट्स और पार्टी वाइज आउटस्टैंडिंग बैलेंस के बीच अंतर एक बार फिर जांच के दायरे में आ गया है। 2024-25 के ऑडिट में अग्रिम, जमावर्ती और अनुदान में बड़ा अंतर मिला है। शनिवार को सीनेट की बैठक में इस मामले पर सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी के नेतृत्व में उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्णय लिया गया।
समिति निधि के बीच अंतर और यदि कोई गड़बड़ी मिली तो उसकी जांच करेगी। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार एडवांस हेड के तहत 22.76 करोड़ की रकम अभी भी बकाया है। यानी निधि तो खर्च हुई है, लेकिन कहां खर्च की गई, इसका पता ही नहीं है। ऑडिटर्स ने नोट किया कि इन एडवांस की पार्टी वाइज डिटेल्स और एजिंग एनालिसिस वेरिफिकेशन के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई थी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई डिपॉजिट बैलेंस बिना किसी मिलान के लंबे समय से बकाया हैं। इस हालत में ऐसे बैलेंस की जांच करें और उसका सही इस्तेमाल किया जाए। वहीं 22.36 लाख जिन्हें अखर्चित अनुदान के तौर पर दिखाया गया था, असल में नियमित अनुदान से जुड़े थे, जहां खर्च पहले ही हो चुका था, जिससे लायबिलिटी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
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इस पर विवि के अकाउंट विभाग की ओर से बताया गया कि पार्टी वाइज मैनुअल रिकॉर्ड बनाए जाते हैं, लेकिन पिछले वर्षों से बैलेंस को आगे ले जाने के कारण गड़बड़ियां हुई हैं। पूरे प्रकरण की पड़ताल की जा रही है। जल्द ही अपडेटेड लिस्ट दी जाएगी।
एड. बाजपेयी ने बताया कि 22.76 करोड़ बकाया का हिसाब कई वर्षों से पेंडिंग है। कुछ हिसाब तो 22 वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं, जिनका पता ही नहीं चल रहा है कि कहां खर्च किये गये। विवि को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद उचित कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मामले गंभीर गड़बड़ियों और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं, जिसमें खेल विभाग भी शामिल है, जहां अग्रिम राशि तो ली गई लेकिन अकाउंट सेटल नहीं किए गए।
बाजपेयी ने कहा कि हालांकि पहले एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, लेकिन ऐसी गड़बड़ी किसी एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकती और इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बाजपेयी ने कहा कि यह मामला 1-1.5 करोड़ का नहीं है, बल्कि पूरे 22 करोड़ से ज्यादा बकाया का है। विवि ने मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्णय लिया।