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तुरंप वापस करें प्राइवेट बसें, हाई कोर्ट ने DCP को लगाई फटकरा, बोले- बस टर्मिनल क्यों नहीं बने?

High Court on Private Busses Action: नागपुर में शहर के अंदर निजी बसों को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस कार्रवाई से त्रस्त आकर बस ऑपरेटरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर एक्शन लिया है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Aug 23, 2025 | 07:59 AM

निजी बस मामले में हाई कोर्ट का डीसीपी पर एक्शन (सौजन्य-सोशल मीडिया)

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Action on Private Buses: नागपुर सिटी में निजी बस ट्रैवल्स के रोकने तथा यात्रियों को लेने के कारण होने वाली ट्रैफिक की अव्यवस्था का हवाला देते हुए इन बसों को सिटी के बाहर से संचालन करने का आदेश जारी किया गया। इसे चुनौती देते हुए ओम गुप्ता, वीरेंद्र बूब, मोह रफीक और उमेश गुप्ता नामक बस ऑपरेटरों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। हाई कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया था।

इसके बाद भी ट्रैफिक विभाग ने कुछ बसों को चालान किया जिसका विरोध करते हुए शुक्रवार को याचिककर्ताओं ने पुन: अर्जी दायर की जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश अजीत काडेठाणकर ने तत्काल प्रभाव से इन बसों को छोड़ने का आदेश जारी किया; साथ ही बस टर्मिनल्स अब तक क्यों नहीं बनाए गए? इस संदर्भ में जानकारी भी मांगी। याचिकाकर्ताओं की अधि. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।

डीसीपी को नहीं है अधिकार

याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे अधि. तुषार मंडलेकर ने कहा कि डीसीपी ट्रैफिक ने 12 अगस्त 2025 को आदेश जारी कर निजी बसों को सुबह 8 से रात 10 बजे तक शहर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया, जबकि डीसीपी ट्रैफिक के पास मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 115 के तहत ऐसा पूर्ण प्रतिबंध लगाने और शहर की सीमा के बाहर ‘पार्किंग स्थल’ या ‘बस स्टॉप’ निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि डीसीपी ने अधिकारों का अतिक्रमण किया है और मुंबई के परिवहन आयुक्त द्वारा 2 जुलाई 2025 को और महाराष्ट्र राज्य के डीजीपी (ट्रैफिक) द्वारा 3 जुलाई 2025 को जारी किए गए आदेश का उल्लंघन भी किया जिसमें ‘ऑल इंडिया परमिट वाहनों’ को शहर की सीमा में यात्रियों को लेने और छोड़ने पर कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

ट्रैफिक विभाग की मनमानी

अधि. मंडलेकर ने कहा कि डीसीपी ट्रैफिक का यह आदेश एक तरह से मनमानी है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 191 [g] और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 117, 110 एमएमवी नियम 1989 और महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम 1949 की धारा 243-ए के तहत निजी बसों के लिए ‘पार्किंग स्थल’ और ‘बस स्टॉप’ का निर्माण करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है किंतु वह इसमें पूरी तरह से विफल रही है। सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से बरामद किए गए याचिकाकर्ताओं के वाहनों को छोड़ने की मांग की।

यह भी पढ़ें – …तो कब होंगे चुनाव? मनपा चुनाव का बिगड़ा टाइम टेबल, फिर टली प्रारूप प्रभाग रचना की घोषणा

सक्षम प्राधिकारी हैं डीसीपी ट्रैफिक

डीसीपी ट्रैफिक की पैरवी करते हुए अधि. उके ने कहा कि डीसीपी ट्रैफिक के पास ऐसी अधिसूचना जारी करने का अधिकार है क्योंकि वे मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 115 के तहत ‘सक्षम प्राधिकारी’ हैं। कुछ दलीलों के बाद डीजीपी ट्रैफिक द्वारा 3 जुलाई 2025 को जारी अधिसूचना के कारण ‘ऑल इंडिया परमिट धारकों’ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन भी कोर्ट को दिया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों को 3 सितंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है; साथ ही वाहनों को तत्काल छोड़ने का भी निर्देश दिया।

Private buses return high court reprimanded dcp why bus terminals not built

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Published On: Aug 23, 2025 | 07:59 AM

Topics:  

  • High Court
  • Nagpur
  • Nagpur News

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