बैलेट पेपर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Praful Gudhde Patil Petition: महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में VVPAT को अनिवार्य करने या बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के पदाधिकारी प्रफुल्ल गुड्धे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता निहाल सिंह राठौड़ और अधिवक्ता पवन डहाट ने पैरवी की। याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता राठौड़ ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों का उपयोग न करने के राज्य चुनाव आयोग के निर्णय पर आदेश देने का अनुरोध भी किया। याचिकाकर्ता ने राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त द्वारा 5 अगस्त 2025 को नाशिक में एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस में घोषित किए गए अमौखिक निर्णय को मनमाना और अवैध बताया है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुद्दों पर विचार करना आवश्यक होता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए। याचिका में बताया गया है कि VVPAT के बिना इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) द्वारा दर्ज मत अपरिवर्तनीय हो जाते हैं। मतदाता को यह जानने का अधिकार है कि उसका वोट सही उम्मीदवार को दर्ज हुआ है या नहीं।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी बनाम ईसीआई मामले (2013) में यह माना था कि ‘पेपर ट्रेल’ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए एक अपरिहार्य आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने आरटीआई आवेदन के माध्यम से VVPAT तैनात न करने के निर्णय की प्रति मांगी थी जिसके जवाब में 24 सितंबर 2025 को आयोग ने सूचित किया कि कोई लिखित आदेश उपलब्ध नहीं है। इसके बाद 6 अक्टूबर 2025 को याचिकाकर्ता ने विरोध दर्ज कराया था। 15 अक्टूबर 2025 को एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल ने भी राज्य चुनाव आयोग से मुलाकात की थी।
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याचिकाकर्ता का मुख्य तर्क यह है कि राज्य विधान मंडल ने स्थानीय निकायों (जैसे जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर परिषद और निगम) के लिए चुनाव कराने हेतु ईवीएम के उपयोग की प्रक्रिया और पद्धति निर्धारित करने वाले नियम अभी तक नहीं बनाए हैं। चूंकि चुनाव संचालन नियम मतपत्रों (बैलेट पेपर) के माध्यम से चुनाव कराने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करते हैं, इसलिए एसईसी द्वारा ईवीएम का उपयोग करना विधायकों की इच्छा के विपरीत है। याचिका में कहा गया है कि यदि राज्य चुनाव आयोग VVPAT मशीनों की कमी का सामना कर रहा है जो अब ईवीएम का एक अभिन्न अंग है तो एकमात्र विकल्प बैलेट पेपर को अपनाना चाहिए जो संवैधानिक रूप से और व्यावहारिक रूप से लागू करने योग्य है।
याचिकाकर्ता ने राज्य चुनाव आयोग को संबंधित विधियों के तहत बनाए गए चुनाव संचालन नियमों के अनुसार मतपत्रों के माध्यम से आगामी स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित करने का निर्देश देने, राज्य चुनाव आयोग के VVPAT मशीनों को तैनात न करने के निर्णय को रद्द किया जाए और आयोग को आगामी सभी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए प्रत्येक ईवीएम मशीन के साथ VVPAT मशीनें तैनात करने, मामले की अंतिम सुनवाई और निपटारे तक VVPAT के बिना ईवीएम का उपयोग करने से रोकने के आदेश देने का अनुरोध भी किया।