राजनीतिक पार्टियां (AI Generated Photo)
Ramtek News: आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, का रामटेक शहर में आज तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं है। कार्यकर्ताओं को मीटिंग और संगठनात्मक निर्णयों के लिए अब भी अस्थायी स्थानों का सहारा लेना पड़ता है।
रामटेक की राजनीतिक विरासत बेहद समृद्ध रही है। इस क्षेत्र ने स्थानीय ही नहीं, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई नामचीन नेताओं को राजनीति के सर्वोच्च पदों तक पहुंचाया है। वर्ष 1984 में स्व। पी। वी। नरसिम्हा राव रामटेक लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर सांसद बने और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। आपातकाल के बाद हुए ऐतिहासिक चुनावों में जब पूरे देश में कांग्रेस का सफाया हो गया था, तब रामटेक के स्व. जतीराम बर्वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत से दिल्ली पहुंचे थे।
इसी प्रकार स्व. एड. मधुकरराव किम्मतकर वर्ष 1980 में रामटेक विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और बाद में राज्य मंत्री बने। इतनी गौरवशाली राजनीतिक परंपरा के बावजूद रामटेक में कांग्रेस का स्थायी कार्यालय न होना चिंतनीय है। करीब दो दशक पूर्व तहसील कांग्रेस कमेटी का कार्यालय रामालेश्वर वार्ड में भोसला देवस्थान समिति के एक कमरे में था। बाद में वह बंद हो गया।
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वर्ष 2005 से 2014 तक कांग्रेस का कार्यालय भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध मोहिते के निवास स्थान पर संचालित हुआ, लेकिन उनके मकान विक्रय के बाद पार्टी के पास कोई जगह नहीं रही। 2014 से 2019 के बीच कांग्रेस की बैठकों का आयोजन किसी मंगल कार्यालय या फिशरमैन सभागृह में किया जाता रहा। 2019 में पूर्व मंत्री राजेंद्र मुलक ने जब रामटेक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की, तब उन्होंने तहसील कार्यालय के समीप एक मकान किराए से लिया। तब से अब तक उसी स्थान पर कांग्रेस की बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी का भी कोई स्थायी कार्यालय नहीं है। पार्टी की बैठकें पूर्व विधायक डी. मल्लिकार्जुन रेड्डी के गांधी चौक स्थित कार्यालय में होती हैं। इसी प्रकार शिवसेना (शिंदे गुट) की बैठकें वर्ष 1999 से वर्तमान राज्य मंत्री आशीष जायसवाल के कार्यालय में संपन्न होती आ रही हैं। वहीं, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और दोनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट और अजीत पवार गुट) की बैठकों के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है।
क्षेत्र में उनका प्रभाव सीमित होने के कारण उनकी बैठकें अक्सर अस्थायी रूप से आयोजित की जाती हैं। रामटेक जैसे राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रमुख दलों के पास स्थायी पार्टी कार्यालयों का अभाव होना निश्चित ही राजनीतिक सक्रियता और संगठनात्मक मजबूती पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।