नागपुर न्यूज
Nagpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (एम्स) में आधुनिक और बेहतरीन उपचार सुविधा उपलब्ध हुई है। नये-नये विभाग खुले हैं। यही वजह है कि मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है कि प्रति दिन की ओपीडी मेडिकल कॉलेज की तरह हो गई है लेकिन बेड की कमी अब भी बनी हुई है। इस वजह से भर्ती होने वाले मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है।
30 वर्षीय एक मरीज अस्थि रोग विभाग में भर्ती होने के लिए पिछले 2 महीने से चक्कर काट रहा है। सरकारी अस्पताल मरीजों का एकमात्र सहारा हैं। यदि यहां भी योग्य और समय पर उपचार नहीं मिलता तो कहां जायें? यह सवाल पैदा हो जाता है। उमरेड रोड स्थित सुरगांव निवासी 30 वर्षीय सूरज सुरनकार ने बताया कि दुर्घटना के बाद उसके पैर का ऑपरेशन किया गया था।
ऑपरेशन एक प्राइवेट अस्पताल में हुआ था। अब पैर में लगी प्लेट निकालना है। तकलीफ बढ़ गई है। लाठी की मदद से चलना पड़ रहा है। जुलाई में पहली बार एम्स जाने पर डॉक्टरों ने इलाज पूरा किया और भर्ती होने की सलाह दी। लेकिन उस वक्त अस्थि रोग विभाग में बेड ही खाली नहीं थे। कुछ दिनों के बाद फिर से आकर पता करने पर भी बेड खाली नहीं मिले।
सूरज ने बताया कि पैर की तकलीफ बढ़ती जा रही है। प्लेट निकालने का ऑपरेशन हो जाता तो राहत मिलती, साथ ही लाठी का सहारा लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती। अब तक करीब 15 बार एम्स में आ चुका लेकिन बेड ही खाली नहीं होने की बात बताई जाती है। इस बीच सूरज ने कुछ नेताओं की भी एप्रोच से भर्ती होने का प्रयास किया लेकिन अब तक इंतजार ही करना पड़ रहा है।
यह भी पढ़ें – CJI बदले, उपराष्ट्रपति बदला लेकिन…संजय राउत ने BJP से पूछ लिया यह प्रश्न, अब क्या करेंगे मोदी-शाह?
यह समस्या एकमात्र सूरज की नहीं है बल्कि कई मरीजों की है। दरअसल बेड कम होने और मरीज बढ़ने से यह समस्या बन गई है। कई बार तो मरीजों को इमरजेंसी में ही भर्ती किया जाता है। बेड नहीं मिलने पर इमरजेंसी में ही स्ट्रेचर या फिर ट्राइसिकल पर रहना पड़ता है। सप्ताह इसी तरह से निकल जाता है।