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मराठा आरक्षण के GR को HC में चुनौती, OBC मुक्ति मोर्चा ने दायर की याचिका, जीआर को बताया असंवैधानिक

OBC Mukti Morcha Filed Petition: मराठा आंदोलन के बाद सामाजिक न्याय विभाग की ओर से मराठा आरक्षण से संबंधित जीआर जारी किया गया। इसे चुनौती देते हुए ओबीसी मुक्ति मोर्चा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Sep 12, 2025 | 09:07 AM

हाई कोर्ट में याचिका दायर (सौजन्य-सोशल मीडिया)

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Maratha Reservation: मुंबई में हुए मराठा आंदोलन के बाद राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग की ओर से 2 सितंबर, 2025 को मराठा आरक्षण से संबंधित जीआर जारी किया गया। इसी जीआर को चुनौती देते हुए ओबीसी मुक्ति मोर्चा के समन्वयक नितिन चौधरी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।

इसमें राज्य सरकार के मुख्य सचिव, राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव और राज्य सरकार के ओबीसी बहुजन वेलफेयर विभाग के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका पर अगले 2-3 दिनों में सुनवाई होने की संभावना है। याचिकाकर्ता चौधरी ने 25 जनवरी, 2024 और 2 सितंबर, 2025 को जारी किए गए इन सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के आदेश सरकार को देने का अनुरोध कोर्ट से किया है।

ये है प्रस्ताव

1. GR दिनांक 25 जनवरी, 2024 : यह सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी किया गया था। इसके तहत तहसीलदार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति का कार्य मराठा समुदाय के सदस्यों को मराठा-कुनबी, कुनबी-मराठा जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन देना था। इसमें उपलब्ध न होने पर प्रमाण और साक्ष्य कैसे उपलब्ध कराए जाएं और पुलिस अधिकारियों के माध्यम से वंशावली की पहचान और घरेलू पूछताछ में सहायता करना शामिल था।

2. GR दिनांक 2 सितंबर, 2025 : यह भी सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी किया गया। यह जी।आर। मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी-मराठा/मराठा-कुनबी प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए ग्राम राजस्व अधिकारी (तलाठी), ग्राम पंचायत अधिकारी (ग्रामसेवक) और सहायक कृषि अधिकारी से मिलकर एक नई समिति का गठन करता है।

जाति के आधार पर भेदभाव

याचिका में तर्क दिया गया है कि ये सरकारी प्रस्ताव असंवैधानिक हैं क्योंकि वे विशेष रूप से मराठा समुदाय के सदस्यों पर लागू होते हैं जिससे जाति के आधार पर राज्य के नागरिकों के साथ भेदभाव होता है। अन्य जातियों के व्यक्तियों को जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए दस्तावेज़ प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उनके लिए कोई विशेष समिति नहीं है।

यहां तक कि कुनबी जाति के उम्मीदवारों को भी इन प्रावधानों का लाभ नहीं मिलेगा यदि उनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं क्योंकि यह सुविधा केवल मराठा समुदाय के लिए है। याचिका में बताया गया कि न्यायिक निर्णयों ने लंबे समय से कहा है कि मराठा कुनबी नहीं हैं। बंबई हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में आशंका व्यक्त की थी कि महाराष्ट्र राज्य में पूरे ‘मराठा’ समुदाय को कुनबी (ओबीसी) जाति का मान लेना सामाजिक बेतुकापन से कम नहीं होगा। ये जीआर इन निर्णयों की अनदेखी करते हैं।

यह भी पढ़ें – ‘खून और क्रिकेट एक साथ…’, राउत ने किया ऐलान, बोले- सिंदूर के सम्मान में शिवसेना उतरेगी मैदान में

दोहरे आरक्षण की आशंका

महाराष्ट्र ने पहले ‘सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम, 2018’ पारित किया था जिसमें मराठा समुदाय के लिए 16% सीटें प्रदान की गई थीं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था। बाद में ‘सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम, 2024’ पारित किया गया जिसने मराठा समुदाय को एसईबीसी के रूप में 10% आरक्षण प्रदान किया।

याचिकाकर्ता ने आशंका जताई कि यदि मराठा बड़ी संख्या में ओबीसी श्रेणी में चले जाते हैं तो यह अराजकता पैदा करेगा। यह 19% ओबीसी कोटे पर भीड़ बढ़ाएगा और एक ही समुदाय दो श्रेणियों में आरक्षण का लाभ उठाएगा।

Obc mukti morcha filed petition challenge gr maratha reservation hc unconstitutional

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Published On: Sep 12, 2025 | 09:07 AM

Topics:  

  • High Court
  • Maratha Reservation
  • Nagpur News

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