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नागपुर. कोरोना महामारी के चलते 2 वर्ष तक ऑनलाइन क्लासेस चलती रहीं. अब इस सत्र से पूरी क्षमता के साथ स्कूल शुरू हैं. इसके साथ ही जिला परिषद के स्कूलों में इस बार छात्रों की संख्या बढ़ी है. इससे छात्रों को मिलने वाली किताबें भी कम पड़ रही हैं. शिक्षा विभाग ने सरकार से अधिक किताबें उपलब्ध कराने की मांग की है. स्कूल शुरू होने से पहले जिप के शिक्षा विभाग ने 2021-22 वर्ष के यू-डायस नंबर के आकड़ों के अनुसार पुस्तकों की मांग की थी लेकिन मांग के अनुरूप बालभारती की ओर से आपूर्ति नहीं की गई.
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत पहली से 8वीं तक के छात्रों को नि:शुल्क किताबें दी जाती हैं. सत्र के पहले ही दिन छात्रों को किताबें मिल सकें, इसके लिए कुछ दिन पहले ही नियोजन कर बालभारती में पुस्तकों के लिए ऑनलाइन पंजीयन किया गया था. जिप स्कूलों में 29 जून को किताबों का वितरण किया गया लेकिन सभी छात्रों को सभी किताबें नहीं मिल सकीं. विभाग ने पहली से आठवीं तक के लिए करीब 23,268 ज्यादा पाठ्य पुस्तकों की मांग की थी. बताया गया कि बालभारती बची हुईं किताबों की आपूर्ति करेगी.
जिले में किताबों की मांग करने वाली तहसीलों में नागपुर तहसील पहले स्थान पर है. ग्रामीण में 4053 किताबों की मांग की गई है. वहीं उमरेड में 2296, भिवापुर में 1076, कुही में 831, रामटेक में 1059, मौदा में 1604, पारसिवनी में 1553, काटोल में 1901, नरखेड़ में 1267, सावनेर में 809, कलमेश्वर में 1744, कामठी में 2513 व हिंगणा तहसील के स्कूलों में 2562 किताबों की मांग की गई है.
जिप ने 1,50,972 विद्यार्थियों के लिए बालभारती से 61,99,803 रुपये की किताबों की मांग की है. यू-डायस के डाटा के अनसुार पहली से चौथी तक 85,296 विद्यार्थी, 5वीं से 8वीं तक 65,676 पुस्तकों की मांग ऑनलाइन पंजीकृत की गई. छात्रों की संख्या बढ़ने से पहली से आठवीं तक सेमी अंग्रेजी, मराठी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी माध्यम की 23,268 ज्यादा किताबों की आवश्यकता है.