नागपुर. नियमों के अनुसार भले ही 20 फरवरी तक मनपा आयुक्त का सुधारित और अगले वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित बजट पेश होना चाहिए लेकिन आमतौर पर हमेशा ही मार्च के तीसरे या अंतिम सप्ताह में बजट पेश होता रहा है लेकिन मनपा में स्थायी वित्तीय अधिकारी नहीं होने तथा वित्तीय अधिकारी का अन्य विभागों के साथ तालमेल नहीं होने के कारण कुछ परेशानियां जरूर उजागर हो रही है. अब बजट तैयार करने की दिशा में मुख्यालय में मैराथन बैठकों का सिलसिला शुरू होने की जानकारी सूत्रों ने दी. बताया जाता है कि सभी विभाग प्रमुखों की बैठक लेकर संबंधित विभागों के अंतर्गत आवश्यकता अनुसार विकास कार्यों का आकलन किया जा रहा है.
कुछ अधिकारियों का मानना है कि मनपा में सत्ताधारी नहीं होने के कारण इस वर्ष सिरदर्दी नहीं है. आमतौर पर जनप्रतिनिधियों की ओर से उनके प्रभागों में आवश्यक कामों के अनुसार निधि प्रावधान का दवाब होता है. अब लोगों से उनके क्षेत्र में आवश्यक विकास कार्यों को लेकर सुझाव मांगे गए हैं जिससे नियोजित खर्च किया जा सकेगा. प्रशासन की ओर से भले ही कोई सिरदर्दी नहीं होने का हवाला दिया जा रहा हो, लेकिन परोक्ष रूप से प्रशासन को निर्देश मिलने की जानकारी सूत्रों ने दी. बताया जाता है कि मनपा में पदाधिकारी रहे कुछ वरिष्ठ पार्षदों की ओर से अभी भी उनके क्षेत्र में विकास के लिए निधि रखने की मांग प्रशासक से की जा रही है.
मनपा में प्रभारी के रूप में वित्त अधिकारी की ओर से जिम्मेदारी का वहन किया जा रहा है. विभागों से समन्वय कर आय और खर्च का आकलन करने के लिए अधिकारियों के बीच संवाद की निरंतरता की आवश्यकता है लेकिन स्थायी वित्त अधिकारी नहीं होने से मनपा को तमाम पेरशानियां झेलनी पड़ रही हैं. सूत्रों के अनुसार चूंकि मनपा आयुक्त इसके पूर्व भी बजट पेश कर चूके हैं, अत: उनके मार्गदर्शन में कामकाज तो हो रहा है लेकिन उसे स्थायी वित्त अधिकारी की तरह गति नहीं मिल पा रही है. सूत्रों के अनुसार भले ही कुछ मुद्दे रहे हो लेकिन अब बजट की प्रक्रिया शुरू की गई है. विभाग प्रमुखों को भी प्रस्ताव देने के निर्देश दिए जा चुके हैं. संभवत: मार्च के अंत या अप्रैल में बजट पेश होने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं.